तुम ही नहीं मुन्तजि़र मंजिल के अकेले  नदियाँ कई  ह | हिंदी श

"तुम ही नहीं मुन्तजि़र मंजिल के अकेले  नदियाँ कई  हमारे भीतर मचल रही है ©Dr Usha Kiran "

तुम ही नहीं मुन्तजि़र मंजिल के अकेले  नदियाँ कई  हमारे भीतर मचल रही है ©Dr Usha Kiran

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