बैठे है हम बस एक तेरी झलक पाने के लिए
तेरी भीगी जुलफें बदन पर तेरती देखने के लिए
तेरी आखों में एक लतीफ़ सी शरारत हैं जानाँ
मैंने शराब भी छोड़ दी तेरी आखों से मचलने के लिए
तेरे मुख के चमन को दैख मदहोश हुआ जा रहा हूँ
मुख को थोड़ा फेर लो ना जानाँ मेरे सँभलने के लिए
सबाहत देख कर तेरी हर दिल मचल रहा है यहाँ
में पर्दा करना चांहू तुम्हे निगह-ए-बद बचाने के लिए
जो नूर तुम लिए बैठे हो जानाँ वो कहा ख़ुर्शीद में
शर्मिंदा हैं अब ख़ुर्शीद अपनी लाज बचाने के लिए
दम-ए-नजारा पाने के लिए लड़ते हैं गुरू आशिक उसके
खुदा से रोज फरियाद करते हैं बस तेरा होने के लिए
BEIMÀÀN Guru Suthar
©Guru Suthar
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