मुझसे रूठना मुझी को मनाना, वादा जो किया उसे निभाना,नहीं कुछ भी तुम्हारे सम्मान से बढ़कर मेरे लिए,तुम भी हमेशा मुझे हृदय में बसाना,रहूंगा हमेशा पास तुम्हारे बस तुम भी थोड़ा वक्त मेरे साथ बिताना,और माना कर देता हूँ नादानियां अक्सर बस थामना मेरा हाथ और प्यार से समझाना।
©सिंह एक शायर
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