White जहां में ग़म का कोई खरीदार नहीं। खुशीयों का य | हिंदी Poetry

"White जहां में ग़म का कोई खरीदार नहीं। खुशीयों का यहां कोई बाज़ार नहीं। हर कोई यहां जन्नत की तालाश में! मगर मरने को यहां कोई तैयार नहीं। बहुत छोटा सा सफर है जिंदगी का! यहां हमेशा के लिए कोई यार नहीं। बस अपना दर्द लगला है सबसे बड़ा! दूसरों के दर्द से कोई सरोकार नहीं। शिकवे हैं ज़िंदगी से अपने अपने, पर! हालात से लड़ने का इख़्तियार नहीं। ©महज़"

 White जहां में ग़म का कोई खरीदार नहीं।
खुशीयों का यहां कोई बाज़ार नहीं।

हर कोई यहां जन्नत की तालाश में!
मगर मरने को यहां कोई तैयार नहीं।

बहुत छोटा सा सफर है जिंदगी का!
यहां हमेशा के लिए कोई यार नहीं।

बस अपना दर्द लगला है सबसे बड़ा!
दूसरों के दर्द से कोई सरोकार नहीं।

शिकवे हैं ज़िंदगी से अपने अपने, पर!
हालात से लड़ने का इख़्तियार नहीं।

©महज़

White जहां में ग़म का कोई खरीदार नहीं। खुशीयों का यहां कोई बाज़ार नहीं। हर कोई यहां जन्नत की तालाश में! मगर मरने को यहां कोई तैयार नहीं। बहुत छोटा सा सफर है जिंदगी का! यहां हमेशा के लिए कोई यार नहीं। बस अपना दर्द लगला है सबसे बड़ा! दूसरों के दर्द से कोई सरोकार नहीं। शिकवे हैं ज़िंदगी से अपने अपने, पर! हालात से लड़ने का इख़्तियार नहीं। ©महज़

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