अब यहीं ठौर है, अब यहीं ठाँव है, अब यहीं धूप है, अ | हिंदी कविता

"अब यहीं ठौर है, अब यहीं ठाँव है, अब यहीं धूप है, अब यहीं छाँव है !! अब यहीं का मुक़्क़मल, निवासी हूँ मैं, आखिरी अब ठिकाना यही गाँव है !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ( गाँव माचा, जनपद बस्ती ) ©Ravi Srivastava"

 अब यहीं ठौर है,
अब यहीं ठाँव है,
अब यहीं धूप है,
अब यहीं छाँव है !!
अब यहीं का मुक़्क़मल,
 निवासी हूँ मैं,
 आखिरी अब ठिकाना
  यही गाँव है !!

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव 
( गाँव माचा, जनपद बस्ती )

©Ravi Srivastava

अब यहीं ठौर है, अब यहीं ठाँव है, अब यहीं धूप है, अब यहीं छाँव है !! अब यहीं का मुक़्क़मल, निवासी हूँ मैं, आखिरी अब ठिकाना यही गाँव है !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ( गाँव माचा, जनपद बस्ती ) ©Ravi Srivastava

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