"मिट्टी के कुल्हड़ समान वर्तमान धर्मनिरपेक्षता"
वर्तमान भारत में धर्मनिरपेक्षता उस प्राकृतिक मिट्टी के कुल्हड़ के समान है, जो पर्यावरण, कला, रोज़गार हेतु बहुउपयोगी, सेहतमंद एवं लाभप्रद तो है।
परंतु वर्तमान सत्ता की राजनीति विध्वंसक, विनाशक, विद्वेषक एवं समाज के लिए विषैले प्लास्टिक, कांच नुमा, कृत्रिम एवं हानिप्रद तो है, साथ ही बाज़ार में पैठ इतनी है कि, बेचारे कुल्हड़ को सिमीत मात्रा में, यदा-कदा किसी कार्यक्रम के सजावट या जलपान के काम तो आता है, परंतु कार्यक्रम के समापन पश्चात उसे किसी कुडे़दान में फेंक दिया जाता है, अपितु कुड़े में रहकर भी, प्रकृत को बिना कुछ हानि के वह उपजाऊ खाद तो अवश्य बन जाती है, परंतु अंततः उसे लड़ना तो बनावटी थर्माकॉल एवं प्लास्टिक नुमा कृत्रिम राजनीति से ही है।
©अदनासा-
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