भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर दिल को कोई आसरा मिलता नहीं खुदा निगहेंबा हो जाए गर हमारा ज़फा-ए-ज़िंदगी से मिल जाए किनारा हमें रोशनी की तलाश अब ख़त्म अब अँधेरे ह.
1 Stories
16 Love
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here