कान्हा, राधेरानी को विरह का दुख था, लेकिन अपने प्रेम से आपने उन्हें, सदैव प्रेमिका बनाकर रखा. मेरा दुख तो विरह से भी है, और प्रेम मुझे मिला नहीं. प्रेम, खोजत.
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