एक समय था जब परछाई भी डरा दिया करती , अब तो एक दो सांप आस्तीन में पालकर देखा है मैंने, बहुत संभाल कर रखता था दिल सीसा हुआ करता, पत्थर हो चुका कई बार हवा मैं.
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