चार बूंद जल की मिल जाती,
छांव भरी एक डाल कोई।
प्या
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#कविता  चार बूंद जल की मिल जाती,
छांव भरी एक डाल कोई।
प्यास मेरी यूँ न मँडराती,
तड़प यहाँ तक न ले आती
इस अथाह से हल क्या होगा?
 इसजीवन का सवाल कोई।।

©Abhilasha Dixit

चार बूंद जल की मिल जाती, छांव भरी एक डाल कोई। प्यास मेरी यूँ न मँडराती, तड़प यहाँ तक न ले आती इस अथाह से हल क्या होगा? इसजीवन का सवाल कोई।। ©Abhilasha Dixit

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