“नदी पर्वत से उतरे तो मैं तेरी चाल लिखता हूँ, तेरे होठों की लरजिश पर हर इक सुर-ताल लिखता हूँ, तेरी आँखों की झीलों में है मेरे इश्क के आँसू, तो जानेमन मै तेर.
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