जो सदैव कृष्ण का नाम लेता है, जिसके रक्त में कृष्ण का प्रवाह होता है, जिसनें युगों-युगों से पुनः मित्र मिलन की प्रतिक्षा की है, जिसनें प्रेम एवं धर्म की रक्षा क.
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