जानती हूं हमारा रिश्ता परंपराओं
 और रीत-रिवाजों से
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जानती हूं हमारा रिश्ता परंपराओं और रीत-रिवाजों से परे है, हमतुम किसी बंधन के मोहताज नहीं खुले आसमां के परिंदे हैं, जो घूम-फिर के एक दूजे के पास ही आते हैं, विश्वास से बना यह रिश्ता हमें सुकून देता है, फिर एक शाम चांद को देख तुम्हारे हाथों से पानी पीना मुझे खुशियां देता है। 💞 ©Kusum Thakur

 जानती हूं हमारा रिश्ता परंपराओं
 और रीत-रिवाजों से परे है,

 हमतुम किसी बंधन के मोहताज नहीं
 खुले आसमां के परिंदे हैं,

जो घूम-फिर के एक दूजे के पास ही आते हैं,

 विश्वास से बना यह रिश्ता हमें सुकून देता है,

 फिर एक शाम चांद को देख तुम्हारे हाथों 
से पानी पीना मुझे खुशियां देता है।

💞

©Kusum Thakur

जानती हूं हमारा रिश्ता परंपराओं और रीत-रिवाजों से परे है, हमतुम किसी बंधन के मोहताज नहीं खुले आसमां के परिंदे हैं, जो घूम-फिर के एक दूजे के पास ही आते हैं, विश्वास से बना यह रिश्ता हमें सुकून देता है, फिर एक शाम चांद को देख तुम्हारे हाथों से पानी पीना मुझे खुशियां देता है। 💞 ©Kusum Thakur

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