मुझे कितना प्यार है तुमसे ,
तुम्हे कितना प्यार है मुझसे ,
इसके गवाह सिर्फ दो हैं ,
एक मेरा दिल,
दूसरा तुम्हारा दिल ,
दुनिया सिर्फ हमारी नोक झोंक की गवाही देगी
लेकिन ,
मेरा प्रेम अनंत है ;
उस आकाश की तरह जिसमें भावनाओं के बादल कभी गरजते, कभी बरसते हैं।
मेरा प्रेम गहरा है;
उस सागर की तरह जिसके लिए तुम एक चंद्रमा के समान हो जिसे देख कर मन का तार झंकृत हो जाता हैं।
तुम्हे कोई देखे या तुम किसी को देखो ,
मन अति व्याकुल हो जाता है,
कितना भी समझाऊं फिर भी समझ नहीं पाता है।
ये जानते हुए कि मै शाश्वत सत्य हूं तुम्हारे लिए और तुम मेरे लिए ,
मन इन छोटी छोटी बातों से बहुत घबराता है।
मै तुम्हारी अर्धांगिनी हूं ये बात सोच कर,
मेरा हृदय शीतलता से भर जाता है।
शायद चाहत थी तुम्हे ,मुझे अपनी कई पीढ़ियों में देखने की,मेरे अंश से अपने कुल को सजोने की,
इसलिए दुनिया में तुमने सिर्फ मुझे चुना।
सारी नाराजगी,सारी कड़वी बातें भूल कर जब मै तुम्हारे पास आती हूं तो इतनी बड़ी मै एक छोटे बच्चे सी बन जाती हूं ।
मेरे पास कोई प्रमाण,कोई पैमाना नहीं कि मै तुम्हे कितना चाहती हूं ,
लेकिन बात अगर तुम्हारी जिंदगी पर आएगी तो तुम्हारे लिए शायद ये भोली सूरत काल से भी लड़ जाएगी।
एक बिमारी है मुझे रूठने की,
तो दवा है तुम्हारा मुझे गले लगा लेना ,
और ये दवा मै पूरी जिंदगी,,,,पूरी जिंदगी,,पूरी जिंदगी चाहती हूं ।
प्रियंका चौहान शैरिल
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