बन्द पिंजरे मे तडप रहीं थी रूह मेरी । देख तुझे एक रोज खुले आसामां मे जीने को जी ललचाया।। ताड़पती रूह को मेरी जब तुने अपनाया। मानो मुझे जनत अदा फरमाया गया ।। one.
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