किसके दरवाजे जाना है, किसके आगे नर्मस्तक हो जाना है। जो अभी नहीं मिला,क्या वह मिल जाएगा, एक अनदेखा देखा हुआ सपना हकीकत में सच हो जाएगा । बात अच्छी है, अपने दिल की है, हो जाए तो पूरी है ना हो पाए तो, फिर से द्वार खटखटाना है। इस बार अपने मन का नहीं, जिसके आगे नर्मस्तक हुए उसके मन का हो जाना है। जब भी सोचती हूं,अपना सोचा हुआ भी सही था, पर यह ज़िद्द थी,जहां अपने मन का मनवा ना था। खुद को सही दिखाना था, खुद से गलती कैसे हो सकती है यह बात भी तो जतानी थी। पर वह भी अटल था, अपने फैसले पर अडिग था। क्योंकि त
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