tribute to Sahir Ludhianvi.
ये गीत मुझे बहोत प्रिय हैं क्योंकि ये वो गीत हैं जिसे सुनने के बाद मुझमे पहली बार कुछ लिखने का इच्छा जागी, या बोल सकते हैं मेरे अंदर का poet जागा,
दरअसल ये गाना मैने करीब एक साल पहले रेडियो पर सुना था, इसके lyrics सुनकर मैं मन्त्रमुध होगया था,
पता चला कि इस गाने के गीतकार साहिर लुधियानवी हैं, बस तभी से साहिर लुधियानवी के लिखे गाने सुनना और पड़ना शुरू, फिर क्या था वही मेरी प्रेरणा वही मेरे गुरू बन गए, जो मैं आज poetry कर पाता हूँ इसका बहोत बड़ा श्रेय साहिर लुधियानवी जी
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