"हिंदूपर्व में गोवर्धन पूजा का है,
एक अपना ही अलग स्थान।
बनकर ग्वाला रहते थे,
जब श्रीकृष्ण गोकुलधाम।
गोवर्धन पर्वत को अपनी उँगली पर उठाकर,
चूर किया था उन्होंने इन्द्र देव का अभिमान।
और गोकुलवासियों को इस पर्वत के नीचे,
शरण देकर बढ़ाया था प्रकृति का मान।
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