*पहाड़ सी है ज़िंदगी चढ़े ही जा रहा हूँ मैं..!!*
*चढ़ाव का उतार का मज़ा उठा रहा हूँ मैं..!!*
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*मिटा सकोगे तुम नहीं कभी मेरे वज़ूद को,*
*कि ख़्वाब छोड़ दो ये देखना,बता रहा हूँ मैं..!!*
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*ग़मों ने ज़िंदगी में कुछ कमी कभी रखी नहीं,*
*जवाँ है हौंसला मेरा जो मुस्कुरा रहा हूँ मैं..!!* 🥀🥀🥀
*बहार में खिला के तुम इसे कमाल मत कहो,*
*ख़िज़ां है फिर भी देखिए कि गुल खिला रहा हूँ मैं..!!*
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*नहीं किसी कमाई से है कम दिलों को जीतना,*
*तो ज़िंदगी में अब फकत यही कमा रहा हूँ मैं..!!*
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*मैं रह गया परों को फड़फड़ा के कफ़स में था,*
*परिंदा हूँ इन्हें भी आज़माने जा रही हूँ मैं..!!*
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*जिस के पास जो है बस वहीं तो वो लुटाएगा,*
*खुशी है पास में मेरे,खुशी लुटा रहा हूँ मैं..!!*
©KRISHNA
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