सुबह का सूरज और तुम
सुबह का सूरज जब भी पहली किरण धरती पर बिखेरता है,
मुझे हमेशा तुम्हारी याद आती है।
जैसे वह किरण रात के अंधेरों को चीर कर नए दिन की शुरुआत करती है,
वैसे ही तुम्हारी मुस्कान मेरे मन के सारे सवालों का जवाब बन जाती है।
सूरज की हर किरण में जैसे तुम्हारी हंसी का उजाला होता है,
जो मेरी आत्मा के हर कोने को रौशन कर देता है।
तुम्हारी आँखें उस सुनहरी किरण जैसी हैं,
जो किसी नयी उम्मीद का वादा करती हैं।
और जब वह रोशनी मेरे चेहरे पर पड़ती है,
तो मैं भूल जाता हूँ कि मैंने रात भर इंतजार किया है सुबह का तुम्हारे साथ।
तुम ही तो वह सुबह हो,
जो हर दिन को खास बना देती हो,
हर पल को नया रूप देती हो।
सुबह का सूरज और तुम,
दोनों ही ऐसे हो जो मेरे जीवन के सबसे खूबसूरत एहसास हो।
सूरज की तरह तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है, और जब तुम पास होते हो,
तो जीवन का हर दिन एक नयी सुबह जैसा लगता है,
जिसमें बस तुम्हारा उजाला है।
✍ करन मेहरा
©Karan Mehra
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