White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा,
सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा।
क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में,
तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में।
बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार,
जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार।
पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी,
फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी।
चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी,
सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी।
कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो,
प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो।
या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो,
ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎
©SumitGaurav2005
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