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#विचार

गोरखपुर में बारिश

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White आसमाँ से उतर कर एक बूंद जब धरा की गोद में कुछ यूं समा गई।देखकर ऐसा लगा मानो किसी बच्चे को पिता के कंधों से उतरकर माँ के आँचल में गहरी नींद आ गयी। ©Aks

#बारिश  White आसमाँ से उतर कर एक बूंद जब धरा की गोद में कुछ यूं समा गई।देखकर ऐसा लगा मानो किसी बच्चे को पिता के कंधों से उतरकर माँ के आँचल में गहरी नींद आ गयी।

©Aks

बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था, हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था, मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था, तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था, फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था, ©SamEeR “Sam" KhAn

#बारिश  बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, 
महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था,

हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, 
महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था,

मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, 
एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था,

तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, 
मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था,

फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, 
मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था,

©SamEeR “Sam" KhAn

छपते-छपते रह गया, बचते-बचते बह गया, चश्मदीद था एक अदद, जाते-जाते कह गया, मौत के साये में चुप था, दर्द ज़माने का सह गया, मिट्टी का जर्जर घर था, इस बारिश में ढह गया, छोड़ गया घर-आंगन सूना, मुद्दों से कर सुलह गया, पता ठिकाना बता कोई, जाने कौन सी जगह गया, मिटा गया रंजिशें तमाम, 'गुंजन' लेकर कलह गया, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #इस  छपते-छपते  रह  गया, 
बचते-बचते  बह  गया,

चश्मदीद था एक अदद, 
जाते-जाते  कह  गया,

मौत के साये में चुप था, 
दर्द ज़माने का सह गया,

मिट्टी का जर्जर घर था, 
इस बारिश में ढह गया,

छोड़ गया घर-आंगन सूना,
मुद्दों से  कर सुलह गया,

पता ठिकाना  बता कोई, 
जाने कौन सी जगह गया,

मिटा गया रंजिशें  तमाम, 
'गुंजन' लेकर कलह गया,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#इस बारिश में ढह गया#

14 Love

#वीडियो  more update follow nojoto

©Saurabh kumar Chauhan

बारिश का आतंक मप्र में यूट्यूब वीडियो Extraterrestrial life Entrance examination वीडियो में

72 View

बारिशों से भी ज्यादा दम है तेरी यादों में, हम तो बंद कमरों में भी भीग जाया करते है। ©Heer

#बारिश #rain  बारिशों से भी ज्यादा दम है तेरी यादों में,

हम तो बंद कमरों में भी भीग जाया करते है।

©Heer
#विचार

गोरखपुर में बारिश

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White आसमाँ से उतर कर एक बूंद जब धरा की गोद में कुछ यूं समा गई।देखकर ऐसा लगा मानो किसी बच्चे को पिता के कंधों से उतरकर माँ के आँचल में गहरी नींद आ गयी। ©Aks

#बारिश  White आसमाँ से उतर कर एक बूंद जब धरा की गोद में कुछ यूं समा गई।देखकर ऐसा लगा मानो किसी बच्चे को पिता के कंधों से उतरकर माँ के आँचल में गहरी नींद आ गयी।

©Aks

बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था, हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था, मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था, तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था, फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था, ©SamEeR “Sam" KhAn

#बारिश  बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, 
महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था,

हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, 
महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था,

मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, 
एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था,

तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, 
मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था,

फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, 
मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था,

©SamEeR “Sam" KhAn

छपते-छपते रह गया, बचते-बचते बह गया, चश्मदीद था एक अदद, जाते-जाते कह गया, मौत के साये में चुप था, दर्द ज़माने का सह गया, मिट्टी का जर्जर घर था, इस बारिश में ढह गया, छोड़ गया घर-आंगन सूना, मुद्दों से कर सुलह गया, पता ठिकाना बता कोई, जाने कौन सी जगह गया, मिटा गया रंजिशें तमाम, 'गुंजन' लेकर कलह गया, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #इस  छपते-छपते  रह  गया, 
बचते-बचते  बह  गया,

चश्मदीद था एक अदद, 
जाते-जाते  कह  गया,

मौत के साये में चुप था, 
दर्द ज़माने का सह गया,

मिट्टी का जर्जर घर था, 
इस बारिश में ढह गया,

छोड़ गया घर-आंगन सूना,
मुद्दों से  कर सुलह गया,

पता ठिकाना  बता कोई, 
जाने कौन सी जगह गया,

मिटा गया रंजिशें  तमाम, 
'गुंजन' लेकर कलह गया,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#इस बारिश में ढह गया#

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©Saurabh kumar Chauhan

बारिश का आतंक मप्र में यूट्यूब वीडियो Extraterrestrial life Entrance examination वीडियो में

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बारिशों से भी ज्यादा दम है तेरी यादों में, हम तो बंद कमरों में भी भीग जाया करते है। ©Heer

#बारिश #rain  बारिशों से भी ज्यादा दम है तेरी यादों में,

हम तो बंद कमरों में भी भीग जाया करते है।

©Heer
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