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Unsplash दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 ©Aditya

#Shaayari #Virel  Unsplash दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌

©Aditya

दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 #Virel #Shaayari

7 Love

Unsplash Situation इंसान को वो बना देती है, जो वो कभी बनना नहीं चाहता! ©Anamika Raj

#Quotes  Unsplash Situation इंसान को वो बना देती है, 
जो वो कभी बनना नहीं चाहता!

©Anamika Raj

Situation इंसान को वो बना देती है, जो वो कभी बनना नहीं चाहता!

16 Love

#वीडियो

सही ज्ञान देती है भागवत कथा

135 View

White खबर भी नहीं है पता भी नहीं है चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है #qhqofficial ©Qaseem Haider Qaseem

#शायरी #Qhqofficial #Sad_Status  White खबर भी नहीं है पता भी नहीं है 
चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है 

तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है 
तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है

#qhqofficial

©Qaseem Haider Qaseem

#Sad_Status खबर भी नहीं है पता भी नहीं है चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है #qh

14 Love

White शर्त यही है.....कोई शर्त नहीं है आप म1ने या ना माने ©neelu

#कोई_आप_सा #नहीं #Bhai_Dooj #है  White शर्त यही है.....कोई  शर्त नहीं है
 आप म1ने या ना माने

©neelu

White अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं। दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।। किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं। टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।। कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ। अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।। ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं। में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।। कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं। कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।। मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं। शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं। आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।। शिल्पी जैन सतना ©chahat

#कविता  White  अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं।
दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।।
किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं।
टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।।
कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ।
अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।।
ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं।
में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।।
कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं।
कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।।
मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। 
अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं।
शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं।
आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।।  
                    शिल्पी जैन सतना

©chahat

मुस्करा देती हूं

16 Love

Unsplash दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 ©Aditya

#Shaayari #Virel  Unsplash दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌

©Aditya

दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 #Virel #Shaayari

7 Love

Unsplash Situation इंसान को वो बना देती है, जो वो कभी बनना नहीं चाहता! ©Anamika Raj

#Quotes  Unsplash Situation इंसान को वो बना देती है, 
जो वो कभी बनना नहीं चाहता!

©Anamika Raj

Situation इंसान को वो बना देती है, जो वो कभी बनना नहीं चाहता!

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#वीडियो

सही ज्ञान देती है भागवत कथा

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White खबर भी नहीं है पता भी नहीं है चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है #qhqofficial ©Qaseem Haider Qaseem

#शायरी #Qhqofficial #Sad_Status  White खबर भी नहीं है पता भी नहीं है 
चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है 

तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है 
तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है

#qhqofficial

©Qaseem Haider Qaseem

#Sad_Status खबर भी नहीं है पता भी नहीं है चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है #qh

14 Love

White शर्त यही है.....कोई शर्त नहीं है आप म1ने या ना माने ©neelu

#कोई_आप_सा #नहीं #Bhai_Dooj #है  White शर्त यही है.....कोई  शर्त नहीं है
 आप म1ने या ना माने

©neelu

White अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं। दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।। किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं। टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।। कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ। अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।। ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं। में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।। कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं। कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।। मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं। शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं। आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।। शिल्पी जैन सतना ©chahat

#कविता  White  अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं।
दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।।
किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं।
टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।।
कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ।
अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।।
ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं।
में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।।
कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं।
कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।।
मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। 
अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं।
शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं।
आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।।  
                    शिल्पी जैन सतना

©chahat

मुस्करा देती हूं

16 Love

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