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सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना,
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
शेष शोर हैं,
शेष चोर हैं
और हैं सिर्फ़ सफलता के आशिक
इस कायनात में कविता ही है इक,
जिसे इस रूप में
लिखकर गर्व होता है कि अच्छा किया जो
इतिहास में किसी को
प्रेम नहीं किया अलावा कविता के,
अच्छा किया जो इतिहास में किसी को
दिल नहीं दिया अलावा कविता के,
कष्टों के काल में
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
मातम-मलाल में
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
कविता को वो नहीं नोच सकते,
जिन्हें नोचकर गर्व होता है क्योंकि कविता को कोई
देख नहीं सकता
क्योंकि कविता को कोई
छू नहीं सकता,
जो कभी नहीं था थकता
वह भी
कदाचित कविता को
तलाशते-तलाशते
थक गया
होगा।
...✍️विकास साहनी
©Vikas Sahni
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