🦯सफाई🦯
समय समय पर स्वयं की, मन की सफाई है जरूरी
आसपास की समाज की देश की सफाई है जरूरी
विकार भाव से अपनी परिणामों की सफाई जरूरी ।।1।।
कही गंदगी,कही कचरा प्रदूषण करते हम दूरी दूरी
वृक्ष काट कर गिराया,दरिद्र लाचारी फैली दूनी दूनी
वातावरण दूषित तन ओ मन बीमारी होती अंदरूनी ।।2।।
धरती,हवा,पानी सब प्रदूषित सब में हाहाकार भारी
प्रभावित मन से अपराधिक,अनैतिक कार्य होते भारी
हम है कारक हम ही कारण यही सच्चाई आज भारी ।।3।।
मैल को साबुन से जीवन को अध्यात्म से सफाई जरूरी
दैनिक रूप से बाहरी ओ अंदर की धूल मिटाना जरूरी
निज के साथ आसपास के वातावरण स्वच्छता जरूरी ।4।
"गुरु प्रशस्त" कहे सफाई से स्वास्थ्य है असली पूँजी
"वैभव"सब रोगों की दवाई चहुं और रखो अच्छी सफाई ।।
©वैभव जैन
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