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New सावन साग न भादो दही Status, Photo, Video

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सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

144 View

#सावन #लव #Videos #Savan
#सावन_का_महीना #भोलेनाथ #सावन  White गुज़रो किसी भी गली से,
 गुज़रो किसी भी गली से बस हरियाली और जल ही नज़र आता है ....
हर हर महादेव की है
गूंज हर जगह 
यह सावन का महीना है 
मेरे भोलेनाथ जी को बहुत भाता है

©Bindu Sharma

ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा जो प्यार सावन का इक नज़र देख लूँ अगर तुमको । तब ही आये करार सावन का वो न आयेगा पास में मेरे क्यों करूँ इंतज़ार सावन का  दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर रोज़ होता दीदार सावन का आप आये हो मेरी महफ़िल में चढ़ रहा है खुमार सावन का  आस ये आखिरी मेरे दिल की करके आओ शृंगार सावन का आप क्यों अब चले नही आते  कुछ तो होगा उधार सावन का बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी  खो ही जाता करार सावन का  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
बीता मौसम हज़ार सावन का
आप बिन क्या शुमार सावन का
तुझको धानी चुनर में जब देखा
मैं हुआ हूँ शिकार सावन का
बात बनती नज़र नही आती
है अधूरा जो प्यार सावन का
इक नज़र देख लूँ अगर तुमको ।
तब ही आये करार सावन का
वो न आयेगा पास में मेरे
क्यों करूँ इंतज़ार सावन का 
दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर
रोज़ होता दीदार सावन का
आप आये हो मेरी महफ़िल में
चढ़ रहा है खुमार सावन का 
आस ये आखिरी मेरे दिल की
करके आओ शृंगार सावन का
आप क्यों अब चले नही आते 
कुछ तो होगा उधार सावन का
बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी 
खो ही जाता करार सावन का 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा

11 Love

#कविता #सावन  White धूप किसी बंध्या-सी जिस पर सेंदुर बरक चढ़ाकर,
अपना दूध हीन आंचल फैलाकर रो रही है,
भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है।
क्षितिज थाल में नखत-दिया ले खड़ी कुरूपा मौन,

चांद सरीखा साजन उसको दे इस युग में कौन,
जबकि धरा उसकी विधवा माँ बूढ़ी और गरीबिन,
किसी पहाड़िन जैसी तम का बोझा ढो रही है,
भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है।

©आगाज़

#सावन @aditi the writer amit pandey

153 View

सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

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#सावन #लव #Videos #Savan
#सावन_का_महीना #भोलेनाथ #सावन  White गुज़रो किसी भी गली से,
 गुज़रो किसी भी गली से बस हरियाली और जल ही नज़र आता है ....
हर हर महादेव की है
गूंज हर जगह 
यह सावन का महीना है 
मेरे भोलेनाथ जी को बहुत भाता है

©Bindu Sharma

ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा जो प्यार सावन का इक नज़र देख लूँ अगर तुमको । तब ही आये करार सावन का वो न आयेगा पास में मेरे क्यों करूँ इंतज़ार सावन का  दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर रोज़ होता दीदार सावन का आप आये हो मेरी महफ़िल में चढ़ रहा है खुमार सावन का  आस ये आखिरी मेरे दिल की करके आओ शृंगार सावन का आप क्यों अब चले नही आते  कुछ तो होगा उधार सावन का बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी  खो ही जाता करार सावन का  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
बीता मौसम हज़ार सावन का
आप बिन क्या शुमार सावन का
तुझको धानी चुनर में जब देखा
मैं हुआ हूँ शिकार सावन का
बात बनती नज़र नही आती
है अधूरा जो प्यार सावन का
इक नज़र देख लूँ अगर तुमको ।
तब ही आये करार सावन का
वो न आयेगा पास में मेरे
क्यों करूँ इंतज़ार सावन का 
दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर
रोज़ होता दीदार सावन का
आप आये हो मेरी महफ़िल में
चढ़ रहा है खुमार सावन का 
आस ये आखिरी मेरे दिल की
करके आओ शृंगार सावन का
आप क्यों अब चले नही आते 
कुछ तो होगा उधार सावन का
बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी 
खो ही जाता करार सावन का 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा

11 Love

#कविता #सावन  White धूप किसी बंध्या-सी जिस पर सेंदुर बरक चढ़ाकर,
अपना दूध हीन आंचल फैलाकर रो रही है,
भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है।
क्षितिज थाल में नखत-दिया ले खड़ी कुरूपा मौन,

चांद सरीखा साजन उसको दे इस युग में कौन,
जबकि धरा उसकी विधवा माँ बूढ़ी और गरीबिन,
किसी पहाड़िन जैसी तम का बोझा ढो रही है,
भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है।

©आगाज़

#सावन @aditi the writer amit pandey

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