White यशोदा कान्हो प्यारौ, चित्तचोर नंद दुलारौ ।
ऐसी मोहिनी डारि गयों नंदलाल, ज्यों जाल कोई मछली पर डारौ ।।
हां हुयो अंधियारों भये घनश्याम, तेरौ घनश्याम दिख्यो नहीं सारौ ।
बांकी करे कटि कान्हो तेरौ औ, बजावत मुरली हरे चित्त मारौ ।।
चित्त चोरी लियौ चित्तचोर तेरौ, औ हरयो मन मोर मनोहर थारौ ।
हे सुनो नंद-भामिनि भोर तेरौ, हां उदित भयो है कदम्ब निहारौ ।।
ले बैठ्यो वसन वो कदम्ब की डारन, बचावत कौन बिचार-बिचारौ ।
कहे ' राहुल ' लाज रखें ब्रजराज, सरे सब काज हृदय से पुकारौ...।।
~ राहुल 'राह़'
©Kavi Rahul Jangid
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