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White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!! ©dilkibaatwithamit

#शायरी #nojohindi #shyari #urdu  White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा 
वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए 

कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए 
यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे 

कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर 
ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए 

कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर 
जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए 

कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर 
ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!!

©dilkibaatwithamit

मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग

12 Love

White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार में। घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी, खो जाने दो मुझे मखमली छांव में। ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है, ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में। अरसों से खुद को सँवारा है मैंने, बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में। लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार, मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में। थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से, ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में। ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में, अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#कविता #sad_shayari  White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार

11 Love

White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!! ©dilkibaatwithamit

#शायरी #nojohindi #shyari #urdu  White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा 
वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए 

कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए 
यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे 

कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर 
ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए 

कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर 
जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए 

कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर 
ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!!

©dilkibaatwithamit

मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग

12 Love

White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार में। घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी, खो जाने दो मुझे मखमली छांव में। ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है, ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में। अरसों से खुद को सँवारा है मैंने, बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में। लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार, मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में। थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से, ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में। ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में, अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#कविता #sad_shayari  White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार

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