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New कुरुक्षेत्र युद्ध स्थान Status, Photo, Video

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#मोटिवेशनल  मेरे रोम रोम में रण होगा
वो आज नहीं हर क्षण होगा
मैं जीवित हूँ साहस बल पर
तो युद्ध मेरे कण कण होगा !

ये कैसी विपदा आन पड़ी
जो मुझको ही भयभीत करे
मैं हार मान माथा टेकूं
और वो माथे पर नृत्य करे !

मैं नहीं हूं इतना कायर कि
मैं स्वयं समर्पण कर दूंगा
मैं लडूंगा अपने शत्रु से
और शीश को अर्पण कर दूंगा ।

मैं वीर धरा का वासी हूं
और लहू मेरी बलिदानी है
नेत्रों में मेरी क्रान्ति दिखे
इतनी पहचान बतानी है !

©Abeer Singh

युद्ध मेरे कान-कान में होगा मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे Aaj Ka Panchang success मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्

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White युद्ध के लिए तैयार हिस्से के युद्ध खुद लड़ने पड़ेंगे, हाथ में तलवार हो, न हो भाल। निर्भीक होकर रण में कूद पड़, यह न सोच अब, जीत मिले या हार। मन में धैर्य, आँखों में आग, संघर्ष की राह पर, ना हो कोई भाग। हर कदम पर होगा एक नया अनुभव, सपनों को साकार करने का है ये उत्सव। जब तक तुम ना थक जाओ, कदम बढ़ाते जाओ, आगे बढ़ते जाओ। जीवन की इस जंग में, तुम नहीं अकेले, साथ है अपने सपने, और है अपने छाले। हर हार में छिपी है एक नई सिख, हर जीत में है संघर्ष की मिठास। इस रणभूमि में तुम बनो योद्धा, खुद से करो मुकाबला, ये है असली अभ्यास। ©Navneet Thakur

#शायरी  White  युद्ध के लिए तैयार

हिस्से के युद्ध खुद लड़ने पड़ेंगे,
हाथ में तलवार हो, न हो भाल।
निर्भीक होकर रण में कूद पड़,
यह न सोच अब, जीत मिले या हार।

मन में धैर्य, आँखों में आग,
संघर्ष की राह पर, ना हो कोई भाग।
हर कदम पर होगा एक नया अनुभव,
सपनों को साकार करने का है ये उत्सव।

जब तक तुम ना थक जाओ,
कदम बढ़ाते जाओ, आगे बढ़ते जाओ।
जीवन की इस जंग में, तुम नहीं अकेले,
साथ है अपने सपने, और है अपने छाले।

हर हार में छिपी है एक नई सिख,
हर जीत में है संघर्ष की मिठास।
इस रणभूमि में तुम बनो योद्धा,
खुद से करो मुकाबला, ये है असली अभ्यास।

©Navneet Thakur

हिस्से के युद्ध #shayari

13 Love

नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र" आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है। जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं? कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ। ©Veer Tiwari

#विचार  नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र"

आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है।

जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं?
कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।
कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ।

©Veer Tiwari

रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"

13 Love

#वीडियो

"वीरगाथा: सम्राट की विजय" - एक ऐतिहासिक और साहसिक गाथा है, जहां प्राचीन भारत का महान सम्राट विक्रम अपने साम्राज्य, राजगढ़, को बचाने के लिए

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#GoodMorning #Quotes  White एकांत 
एक युद्ध अपने ही विरुद्ध!

"खुद से लड़ाई सबसे कठिन होती है, लेकिन यही लड़ाई हमें सबसे मजबूत बनाती है।”

©Raghav Trivedi

#GoodMorning एक युद्ध अपने ही विरुद्ध! life quotes in hindi

72 View

White जिंदगी अगर मेरी ज़िद्दी है तो मैं भी उससे कम ज़रा भी नही हू उसके और मेरेबींच एक शीत युद्ध बरसो से चाल रहा और मुझे उम्मीद है कि ये युद्ध कभी न खतम होने वाला युद्ध सिद्ध होगा ©Parasram Arora

#कविता  White जिंदगी अगर  मेरी ज़िद्दी है तो मैं भी 
उससे कम ज़रा भी नही हू 

उसके और मेरेबींच एक शीत युद्ध
 बरसो से चाल रहा  और मुझे उम्मीद है कि 
ये युद्ध कभी न खतम होने वाला युद्ध  सिद्ध होगा

©Parasram Arora

सुइट युद्ध

19 Love

#मोटिवेशनल  मेरे रोम रोम में रण होगा
वो आज नहीं हर क्षण होगा
मैं जीवित हूँ साहस बल पर
तो युद्ध मेरे कण कण होगा !

ये कैसी विपदा आन पड़ी
जो मुझको ही भयभीत करे
मैं हार मान माथा टेकूं
और वो माथे पर नृत्य करे !

मैं नहीं हूं इतना कायर कि
मैं स्वयं समर्पण कर दूंगा
मैं लडूंगा अपने शत्रु से
और शीश को अर्पण कर दूंगा ।

मैं वीर धरा का वासी हूं
और लहू मेरी बलिदानी है
नेत्रों में मेरी क्रान्ति दिखे
इतनी पहचान बतानी है !

©Abeer Singh

युद्ध मेरे कान-कान में होगा मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे Aaj Ka Panchang success मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्

117 View

White युद्ध के लिए तैयार हिस्से के युद्ध खुद लड़ने पड़ेंगे, हाथ में तलवार हो, न हो भाल। निर्भीक होकर रण में कूद पड़, यह न सोच अब, जीत मिले या हार। मन में धैर्य, आँखों में आग, संघर्ष की राह पर, ना हो कोई भाग। हर कदम पर होगा एक नया अनुभव, सपनों को साकार करने का है ये उत्सव। जब तक तुम ना थक जाओ, कदम बढ़ाते जाओ, आगे बढ़ते जाओ। जीवन की इस जंग में, तुम नहीं अकेले, साथ है अपने सपने, और है अपने छाले। हर हार में छिपी है एक नई सिख, हर जीत में है संघर्ष की मिठास। इस रणभूमि में तुम बनो योद्धा, खुद से करो मुकाबला, ये है असली अभ्यास। ©Navneet Thakur

#शायरी  White  युद्ध के लिए तैयार

हिस्से के युद्ध खुद लड़ने पड़ेंगे,
हाथ में तलवार हो, न हो भाल।
निर्भीक होकर रण में कूद पड़,
यह न सोच अब, जीत मिले या हार।

मन में धैर्य, आँखों में आग,
संघर्ष की राह पर, ना हो कोई भाग।
हर कदम पर होगा एक नया अनुभव,
सपनों को साकार करने का है ये उत्सव।

जब तक तुम ना थक जाओ,
कदम बढ़ाते जाओ, आगे बढ़ते जाओ।
जीवन की इस जंग में, तुम नहीं अकेले,
साथ है अपने सपने, और है अपने छाले।

हर हार में छिपी है एक नई सिख,
हर जीत में है संघर्ष की मिठास।
इस रणभूमि में तुम बनो योद्धा,
खुद से करो मुकाबला, ये है असली अभ्यास।

©Navneet Thakur

हिस्से के युद्ध #shayari

13 Love

नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र" आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है। जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं? कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ। ©Veer Tiwari

#विचार  नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र"

आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है।

जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं?
कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।
कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ।

©Veer Tiwari

रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"

13 Love

#वीडियो

"वीरगाथा: सम्राट की विजय" - एक ऐतिहासिक और साहसिक गाथा है, जहां प्राचीन भारत का महान सम्राट विक्रम अपने साम्राज्य, राजगढ़, को बचाने के लिए

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#GoodMorning #Quotes  White एकांत 
एक युद्ध अपने ही विरुद्ध!

"खुद से लड़ाई सबसे कठिन होती है, लेकिन यही लड़ाई हमें सबसे मजबूत बनाती है।”

©Raghav Trivedi

#GoodMorning एक युद्ध अपने ही विरुद्ध! life quotes in hindi

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White जिंदगी अगर मेरी ज़िद्दी है तो मैं भी उससे कम ज़रा भी नही हू उसके और मेरेबींच एक शीत युद्ध बरसो से चाल रहा और मुझे उम्मीद है कि ये युद्ध कभी न खतम होने वाला युद्ध सिद्ध होगा ©Parasram Arora

#कविता  White जिंदगी अगर  मेरी ज़िद्दी है तो मैं भी 
उससे कम ज़रा भी नही हू 

उसके और मेरेबींच एक शीत युद्ध
 बरसो से चाल रहा  और मुझे उम्मीद है कि 
ये युद्ध कभी न खतम होने वाला युद्ध  सिद्ध होगा

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