किस कदर बेखबर है वो मुझसे,
एक साया है मगर साथ कब से।
ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ,
जाने कहाँ खो गई है वो हमसे।
अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान,
खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से।
सवालों का पिटारा है मेरे दिल में,
पर पूछने की इजाजत नहीं उससे।
नज़रों से सवाल कर जाती है,
अब नज़र मिलती नहीं मेरी उससे।
देखकर मेरे बगल से गुजर जाती है,
सोचता हूँ, सजा दूँ बालों में गजरे।
कैसी बेताबी है, उसे क्या ख़बर,
देख ले इश्क़, जो मिल जाए नज़रे।
किस कदर सब्र का चोला पहना,
इसी हाल में जी रहा 'अभय' कब से।
©theABHAYSINGH_BIPIN
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