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हमने भी देखें हैं बहारों के दिन हम पर भी था जवानी का खुमार हमारा भी धड़का था जोर से दिल हमने भी किया था इश्क- इजहार भली सी एक सांवली सी सूरत से हमें भी था कभी बे -इंतहा प्यार हम भी खुली आंख खाब देखते थे हमें भी होता था मोहब्बत पे एतबार किसी की एक नज़र पाने को हमारा दिल भी होता था बे-करार किसी को अपनी बाहों में भर कर हमें भी मिलता था सुकूं-ओ-करार हमने भी खायी थी वफा की कसमें हमें भी था अपने वादों से सरोकार फिर कुछ दरारें पड़ी दिलों में'बेखबर' ढ़ह गया मेरी मोहब्बत का घर-बार ©_बेखबर

 हमने  भी   देखें    हैं बहारों के  दिन
हम पर भी  था  जवानी   का खुमार 

हमारा  भी धड़का  था जोर से  दिल 
हमने भी  किया  था  इश्क- इजहार

भली सी  एक  सांवली सी  सूरत  से 
हमें  भी  था  कभी  बे -इंतहा  प्यार 

हम  भी खुली  आंख खाब देखते थे
हमें भी होता था मोहब्बत पे एतबार 

किसी  की   एक   नज़र   पाने   को
हमारा  दिल  भी  होता  था बे-करार 

किसी को  अपनी  बाहों में  भर कर
हमें भी  मिलता था  सुकूं-ओ-करार

हमने भी  खायी थी वफा की कसमें 
हमें भी  था अपने  वादों से सरोकार

फिर कुछ दरारें पड़ी दिलों में'बेखबर'
ढ़ह गया मेरी  मोहब्बत का  घर-बार

©_बेखबर

love poetry in hindi urdu poetry deep poetry in urdu poetry quotes sad poetry

14 Love

हमने भी देखें हैं बहारों के दिन हम पर भी था जवानी का खुमार हमारा भी धड़का था जोर से दिल हमने भी किया था इश्क- इजहार भली सी एक सांवली सी सूरत से हमें भी था कभी बे -इंतहा प्यार हम भी खुली आंख खाब देखते थे हमें भी होता था मोहब्बत पे एतबार किसी की एक नज़र पाने को हमारा दिल भी होता था बे-करार किसी को अपनी बाहों में भर कर हमें भी मिलता था सुकूं-ओ-करार हमने भी खायी थी वफा की कसमें हमें भी था अपने वादों से सरोकार फिर कुछ दरारें पड़ी दिलों में'बेखबर' ढ़ह गया मेरी मोहब्बत का घर-बार ©_बेखबर

 हमने  भी   देखें    हैं बहारों के  दिन
हम पर भी  था  जवानी   का खुमार 

हमारा  भी धड़का  था जोर से  दिल 
हमने भी  किया  था  इश्क- इजहार

भली सी  एक  सांवली सी  सूरत  से 
हमें  भी  था  कभी  बे -इंतहा  प्यार 

हम  भी खुली  आंख खाब देखते थे
हमें भी होता था मोहब्बत पे एतबार 

किसी  की   एक   नज़र   पाने   को
हमारा  दिल  भी  होता  था बे-करार 

किसी को  अपनी  बाहों में  भर कर
हमें भी  मिलता था  सुकूं-ओ-करार

हमने भी  खायी थी वफा की कसमें 
हमें भी  था अपने  वादों से सरोकार

फिर कुछ दरारें पड़ी दिलों में'बेखबर'
ढ़ह गया मेरी  मोहब्बत का  घर-बार

©_बेखबर

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