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New फलदार वृक्ष प्रतिनिधि प्रजातियां Status, Photo, Video

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White फूल में गुलाब, धातु में सोना, पशु में गाय पक्षी में मुर्गी वृक्ष में खाद्य पदार्थ और लकड़ी  और तुम सोचते हो लोग मोहब्बत यूं ही चुन लेंगे ©Parul Sharma

#खाद्यपदार्थ #मोहब्बत #मुर्गी #वृक्ष #गुलाब #लकड़ी  White फूल में गुलाब, धातु में सोना, पशु में गाय
पक्षी में मुर्गी वृक्ष में खाद्य पदार्थ और लकड़ी 
और तुम सोचते हो लोग मोहब्बत यूं ही चुन लेंगे

©Parul Sharma

मण्डूक दोहे पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़। जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१ माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार। देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२ रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार। पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३ कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात। वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४ मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर। भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५ इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ ©Bharat Bhushan pathak

#नोजोटो_हिन्दी #मण्डूक_दोहे #वृक्ष #पेड़ #छंद  मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak

#मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे

10 Love

"अस्तित्व" सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो और जल में शीतलता नही आती । मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है । सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है । बाहों में बल, चेहरे पर चमक उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन । नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं ! ©बेजुबान शायर shivkumar

 "अस्तित्व"

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो 
और जल में शीतलता नही आती ।

मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।

नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !

©बेजुबान शायर shivkumar

" #अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न

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White फूल में गुलाब, धातु में सोना, पशु में गाय पक्षी में मुर्गी वृक्ष में खाद्य पदार्थ और लकड़ी  और तुम सोचते हो लोग मोहब्बत यूं ही चुन लेंगे ©Parul Sharma

#खाद्यपदार्थ #मोहब्बत #मुर्गी #वृक्ष #गुलाब #लकड़ी  White फूल में गुलाब, धातु में सोना, पशु में गाय
पक्षी में मुर्गी वृक्ष में खाद्य पदार्थ और लकड़ी 
और तुम सोचते हो लोग मोहब्बत यूं ही चुन लेंगे

©Parul Sharma

मण्डूक दोहे पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़। जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१ माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार। देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२ रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार। पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३ कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात। वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४ मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर। भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५ इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ ©Bharat Bhushan pathak

#नोजोटो_हिन्दी #मण्डूक_दोहे #वृक्ष #पेड़ #छंद  मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak

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"अस्तित्व" सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो और जल में शीतलता नही आती । मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है । सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है । बाहों में बल, चेहरे पर चमक उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन । नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं ! ©बेजुबान शायर shivkumar

 "अस्तित्व"

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो 
और जल में शीतलता नही आती ।

मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।

नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !

©बेजुबान शायर shivkumar

" #अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न

16 Love

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