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White क़ाफ़िया मिलाएं (दो मिसरे) बड़ी क़शमक़श में ज़िन्दगी हमारी है उलझनें है इतनी कम होने का नाम न लेती हैं बुनियादी दिवार कमजोर इतनी निकली खून के रिश्तों के फ़रेब से टूटकर जो गिरी, बदल गये खून के किरदार गिरगिट सारे रंग हर उस दिल में बसा था गुरुर के सारे ढंग कौन किसका यहां अपना है अरे हमने तो अपने मां पापा के सगे रिश्तेदारों को करीब से बहुत बदलते देखा है, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

#क़ाफ़िया #दोमिसरे #शायरी #wellwisher_taru #GoodMorning  White क़ाफ़िया मिलाएं (दो मिसरे)
बड़ी क़शमक़श में ज़िन्दगी हमारी है
उलझनें है इतनी कम होने का नाम न लेती हैं 

बुनियादी दिवार कमजोर इतनी निकली
खून के रिश्तों के फ़रेब से टूटकर जो गिरी,

बदल गये खून के किरदार गिरगिट सारे रंग 
हर उस दिल में बसा था गुरुर के सारे ढंग

कौन किसका यहां अपना है 
अरे हमने तो अपने मां पापा के सगे रिश्तेदारों
 को करीब से बहुत बदलते देखा है,

©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित रचनाएं क़ाफ़िया दो मिसरे #wellwisher_taru #Poetry #दोमिसरे #क़ाफ़िया #Nojoto #Life #Trending

14 Love

Unsplash जैसे शब्दकोश में भाव नहीं होता बस अर्थ होता है, वैसे से ही जिंदगी में अगर भाव‌ और अभाव ना हो तो जिंदगी वर्थ होता है..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #hpstrange #library #36gyan  Unsplash जैसे शब्दकोश में भाव नहीं होता 
बस अर्थ होता है,
वैसे से ही जिंदगी में अगर 
भाव‌ और अभाव ना हो तो 
जिंदगी वर्थ होता है..!

©Himanshu Prajapati

#library जैसे शब्दकोश में भाव नहीं होता बस अर्थ होता है, वैसे से ही जिंदगी में अगर भाव‌ और अभाव ना हो तो जिंदगी वर्थ होता है..! #36gyan #

15 Love

मुकम्मल=पूर्ण,शख़्सियत=अस्तित्व मौलिक क़ाफ़िया शायरियां शीर्षक शख़्सियत विधा क़ाफ़िया भाव वास्तविक अक्सर ज़िन्दगी का आईना आईना नहीं रहत

171 View

White क़ाफ़िया मिलाएं (दो मिसरे) बड़ी क़शमक़श में ज़िन्दगी हमारी है उलझनें है इतनी कम होने का नाम न लेती हैं बुनियादी दिवार कमजोर इतनी निकली खून के रिश्तों के फ़रेब से टूटकर जो गिरी, बदल गये खून के किरदार गिरगिट सारे रंग हर उस दिल में बसा था गुरुर के सारे ढंग कौन किसका यहां अपना है अरे हमने तो अपने मां पापा के सगे रिश्तेदारों को करीब से बहुत बदलते देखा है, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

#क़ाफ़िया #दोमिसरे #शायरी #wellwisher_taru #GoodMorning  White क़ाफ़िया मिलाएं (दो मिसरे)
बड़ी क़शमक़श में ज़िन्दगी हमारी है
उलझनें है इतनी कम होने का नाम न लेती हैं 

बुनियादी दिवार कमजोर इतनी निकली
खून के रिश्तों के फ़रेब से टूटकर जो गिरी,

बदल गये खून के किरदार गिरगिट सारे रंग 
हर उस दिल में बसा था गुरुर के सारे ढंग

कौन किसका यहां अपना है 
अरे हमने तो अपने मां पापा के सगे रिश्तेदारों
 को करीब से बहुत बदलते देखा है,

©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित रचनाएं क़ाफ़िया दो मिसरे #wellwisher_taru #Poetry #दोमिसरे #क़ाफ़िया #Nojoto #Life #Trending

14 Love

Unsplash जैसे शब्दकोश में भाव नहीं होता बस अर्थ होता है, वैसे से ही जिंदगी में अगर भाव‌ और अभाव ना हो तो जिंदगी वर्थ होता है..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #hpstrange #library #36gyan  Unsplash जैसे शब्दकोश में भाव नहीं होता 
बस अर्थ होता है,
वैसे से ही जिंदगी में अगर 
भाव‌ और अभाव ना हो तो 
जिंदगी वर्थ होता है..!

©Himanshu Prajapati

#library जैसे शब्दकोश में भाव नहीं होता बस अर्थ होता है, वैसे से ही जिंदगी में अगर भाव‌ और अभाव ना हो तो जिंदगी वर्थ होता है..! #36gyan #

15 Love

मुकम्मल=पूर्ण,शख़्सियत=अस्तित्व मौलिक क़ाफ़िया शायरियां शीर्षक शख़्सियत विधा क़ाफ़िया भाव वास्तविक अक्सर ज़िन्दगी का आईना आईना नहीं रहत

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