White हजारों सपनो की कतार मैं,
सपनों की लेकर पतवार वो बह जाना चाहती थीं,
बेटी बनकर आईं थीं, पिजरे से आज़ाद हों उड़ जाना चाहती थी...!!
..................
पड़ लिख कर , अपनी सपनों की दुनियां मैं वो नादान सी लड़की डॉक्टर बनना चाहती थी school किया college कर ug pg करके वो अपनी पहचान बनाना चाहती थी
..................
पड़ भी गईं वो लिख भी गईं, अपने इरादों की वो पक्की थीं, फिर हर रोज़ अपने सफ़र की उड़ान भरने को हॉस्पिटल मैं दिन मैं ड्यूटी रात मैं ड्यूटी करती थी...
..................
कहा सोचा था उस नादान ने ,की लग जायेगी उसे हैवानियत की नज़र, कुछ जिस्म के भुखे लोग रख रहें थे उस पर नज़र
लोगों की ज़िन्दगी बचाने, के लिए जो खुद अपने दिन रात से लड़ रही थी...
..................
जिस्म का भूखा ये इंसान इस हद तक दरिंदगी फेलाएगा, शरीर, का कतरा कतरा तो क्या आंख भी नोच कर खाएगा
हवस ने इंसान की, बेटियां की ज़िन्दगी को ,
बस अपनी भूख मिटाने का जरिया बना डाला हैं....
.....................
अपनी मौत का इंतज़ार कर रही थी वो बेटी
इंसान तो जिंदा हैं ...
और हैवानियत जिस्म की भी भूख की इस क़दर बड़ चुकी है की इंसान ने इंसानियत को ही मार डाला हैं...
..…..............
©blogwriternisha
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here