Unsplash ऐ इश्क रूहे बेताब को जीने की वजाहत देदे,या
फिर जिस्त ए फिराक में रहने की इनायत देदे/१
या खुदा नबीना चश्म में बिनाई की अलामत देदे,देखे
है जो गुजिश्ता ख्वाब उन्हें पाने की शुजाअत देदे//२
ऐ गमें फिराक,अब इस गम से फ़राग़त देदे,या
फिर मुझको वस्ले मसर्रत में रिफाकत देदे//३
बाद मुद्दत के जो अता हुई वही आस है हयात में,तुझे
पा सकूं मै हूं मुन्तजर इन खलाओ में बशारत देदे//४
ऐ जिस्त सलीके से निभा"शमा"की रस्में उल्फत,
नहीं तो उसे किसी और का होने की इजाज़त देदे//५
#Shamawritesbebaak
©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
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