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White रचना दिनांक 1,, नवम्बर,,2024 वार शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्््निज विचार ्् ्््शीर्षक ्् ्््छाया चित्र में दिखाया गया दीपयज्ञ और, नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करें,, देश के शहीदों की समाधियों पर दीपदान करे ््् दीपावली पर दीए जलाकर किया गया है नगर कोट में,, भैरव भवानी और गणेश सर्व धर्म कर्म अर प्रथम निर्भीक साकार हो, प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। धान धनदायनी महालक्ष्मी पूजन करें जनसेवा ही, मानव जीवन में एक सुख से जन्मा आत्म सम्मान जरुरी है,,।। जो भी है वो लफ्जो से भावना से मन प्रसन्न हो,, प्यारा सा देश है संविधान से चलेगा,, तो हर कोई बाशिन्दा देश धर्म संस्कृति का, अनुठा दीपदान करने वाली प्रेरणा स्त्रोत बना सके।। जो स्वाधीनता के शहीदों की कूरबानी में आंखें डालकर उन वीरों की शहादत को सलाम करते हुए ,, हर नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करना परम आवश्यक है।। क्योंकि धड़कनों में बसा पंचतत्व में प्राण वायु हैं,, हर देश भक्त में शौर्यपूर्ण आन बान शान ओर जस्बात से, सजाया गया ज्ञर पर्व और त्योहार मनाना चाहिए।। तो आये सूफीवाद से भावना मन से सदभाव का, आयना नजरिया आनंद ही जिंदगी है,, यह दीपयज्ञ शहोदो की समाधि स्थल पर पहुंचे और, देश भर में दीपयज्ञ का मन से हरघर हरव्दार पर दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद ले और पहुंचे शक्ति शहीदों की, समाधियों पर ख्यालात अच्छे लगते है कथन सच्चाई है। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 1,,, नवम्बर 2024। ©Shailendra Anand

#भक्ति #happy_diwali  White रचना दिनांक 1,, नवम्बर,,2024
वार शुक्रवार
समय सुबह दस बजे
्््निज विचार ््
्््शीर्षक ््
्््छाया चित्र में दिखाया गया दीपयज्ञ और,
 नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करें,,
देश के शहीदों की समाधियों पर दीपदान करे ्््

दीपावली पर दीए जलाकर किया गया है नगर कोट में,,
 भैरव भवानी और गणेश सर्व धर्म कर्म अर प्रथम निर्भीक साकार हो,
 प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।
 धान धनदायनी महालक्ष्मी पूजन करें जनसेवा ही,
 मानव जीवन में एक सुख से जन्मा आत्म सम्मान जरुरी है,,।।
जो भी है वो लफ्जो से भावना से मन प्रसन्न हो,,
प्यारा सा देश है संविधान से चलेगा,,
 तो हर कोई बाशिन्दा देश धर्म संस्कृति का,
 अनुठा दीपदान करने वाली प्रेरणा स्त्रोत बना सके।।
जो स्वाधीनता के शहीदों की कूरबानी में आंखें डालकर 
उन वीरों की शहादत को सलाम करते हुए ,,
हर नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करना परम आवश्यक है।।
क्योंकि धड़कनों में बसा पंचतत्व में प्राण वायु हैं,,
 हर देश भक्त में शौर्यपूर्ण आन बान शान ओर जस्बात से,
 सजाया गया ज्ञर पर्व और त्योहार मनाना चाहिए।।
तो आये सूफीवाद से भावना मन से सदभाव का,
 आयना नजरिया आनंद ही जिंदगी है,,
यह दीपयज्ञ शहोदो की समाधि स्थल पर पहुंचे और,
 देश भर में दीपयज्ञ का मन से हरघर हरव्दार पर दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद ले और पहुंचे शक्ति शहीदों की,
 समाधियों पर ख्यालात अच्छे लगते है कथन सच्चाई है।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
1,,, नवम्बर 2024।

©Shailendra Anand

#happy_diwali देश भक्ति शहीदों के महत्व और आम आदमी और दीपदान का स्वरूप और प्रयोग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाना चाहिए। ्््््कवि शैलेंद्र आनं

11 Love

White :"भारत की नदियां": आओ बच्चों रचना में पहचान करते हैं। सीखने सिखाने का नया काम करते हैं।। भारत के कुछ पावन नदियों को याद । कविता के माध्यम से अब नाम करते हैं।। चमोली उतराखंड से गंगोत्री निकली आगे बढ़ बन चली भागीरथी नद आनंदा। मानसरोवर झील से ब्रह्मपुत्र निकसै उत्तराखंड अलकापुरी से नदी अलकनंदा।। गोमुख गंगोत्री गलेशियर से उदित भागीरथी किरात नदी के नाम से भीं ये जानी जाती। गढ़वाल क्षेत्र जल धारा में कोलाहल के कारण ये निर्झरणी भागीरथी सास भीं कभी कहीं जाती ।। सतोपंथ भागीरथ हिमनद से उत्पन अलकनंदा लगभग 195 km बहकर आगे बढ़ती जाती । सरस्वती धौलीगंगा नंदकिनि पिंडर सहायिका पहाड़ों कंदराओं को तोड़ती बहू बन इठलाती।। विष्णुप्रयाग धौलीगंगा से मिलती हैं मना गांव सरस्वती से । क्रनप्रयाग पिंडर सहायिका से रुद्रप्रयाग मंदाकिनी नदी से ।। देवप्रयाग उत्तरकाशी में आकर ये सरिताये भागीरथी और अलकनंदा बड़ी मन भाए। मिलकर दोनो की कल कल पानी संगम पर मां पावन पवित्र गंगा नदी कहलाए।। उत्तर प्रदेश बिहार से गुजरती बहती गंगा पश्चिम बंगाल में हुगली तटीनी बन इतराए। पबनद्वीप बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र से मिलंनकर ये मईया गंगा पदमा नाम से जाना जाए।। हिमालय पहाड़ी से कंदरा जंगल में होकर मैदानी इलाकों को तारती कभी बाढ़ भीं लेआती। मेघना नाम से गंगा ब्रह्मपुत्र के संयुक्त नीरधारा बंगाल की खाड़ी में हौले हौले अब गिरती जाती।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi

#कविताएं #रचना #sad_quotes  White :"भारत की नदियां":


आओ बच्चों रचना में पहचान करते हैं।
सीखने सिखाने का नया काम करते हैं।।
भारत के कुछ पावन नदियों को याद ।
कविता के माध्यम से अब नाम करते हैं।।

चमोली उतराखंड से गंगोत्री निकली
आगे बढ़ बन चली भागीरथी नद आनंदा।
मानसरोवर झील से ब्रह्मपुत्र निकसै 
उत्तराखंड अलकापुरी से नदी अलकनंदा।।

गोमुख गंगोत्री गलेशियर से उदित भागीरथी
किरात नदी के नाम से भीं ये जानी जाती।
गढ़वाल क्षेत्र जल धारा में कोलाहल के कारण
ये निर्झरणी भागीरथी सास भीं कभी कहीं जाती ।।

सतोपंथ भागीरथ हिमनद से उत्पन अलकनंदा 
लगभग 195 km बहकर आगे बढ़ती जाती ।
सरस्वती धौलीगंगा नंदकिनि पिंडर सहायिका 
पहाड़ों कंदराओं को तोड़ती बहू बन इठलाती।।

विष्णुप्रयाग धौलीगंगा से मिलती हैं मना गांव सरस्वती से ।
क्रनप्रयाग पिंडर सहायिका से  रुद्रप्रयाग मंदाकिनी नदी से ।।

देवप्रयाग उत्तरकाशी में आकर ये सरिताये 
भागीरथी और अलकनंदा बड़ी मन भाए।
मिलकर दोनो की कल कल पानी संगम पर 
मां पावन पवित्र गंगा नदी कहलाए।।

उत्तर प्रदेश बिहार से गुजरती बहती गंगा 
पश्चिम बंगाल में हुगली तटीनी बन इतराए।
पबनद्वीप बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र से मिलंनकर 
ये मईया गंगा पदमा नाम से जाना जाए।।

हिमालय पहाड़ी से कंदरा जंगल में होकर 
मैदानी इलाकों को तारती कभी बाढ़ भीं लेआती।
मेघना नाम से गंगा ब्रह्मपुत्र के संयुक्त नीरधारा 
बंगाल की खाड़ी में हौले हौले अब गिरती जाती।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#मृत_शैय्या #संस्कृत #विचार #मौनता #indianwriters

स्वलिखित संस्कृत रचना शीर्षक मौनता . . विधा विचार . .

162 View

#devotionally_spiritually_taru #शायरी #tarukikalam #Trending #Quotes

स्वरचित रचना #tarukikalam #Quotes #Poetry #Trending #Hindi #Life #Nojoto #devotionally_spiritually_taru

180 View

White " विचारो में भिन्नता " हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं। मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।। बस नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।। पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी। दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।। नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं। नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।। काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता तो विकाश की बहती पावन धारा होता। प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।। पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।। कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं। ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी किसी को भी मात दे देते हैं। अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।। बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं। बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।। तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम। ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi

#कविता #रचना #love_shayari  White " विचारो में भिन्नता "

हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के 
लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं।

मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं 
पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।।

बस  नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो 
किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं

यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है
 जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।।

पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी।
दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।।

नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं।
नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।।

काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता 
तो विकाश की बहती पावन धारा होता।

प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ
दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।।

पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग 
जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी

 औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये
अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।।

कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं।
ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी  किसी को भी मात दे देते हैं।

अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं 
ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।।

बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं।
बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।।

तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम।
 ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi

White संपूर्ण अवतार वाणी एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है ©Kesh Karan nishad

 White संपूर्ण अवतार वाणी 
एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है
शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है

©Kesh Karan nishad

## प्रभु की रचना##

12 Love

White रचना दिनांक 1,, नवम्बर,,2024 वार शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्््निज विचार ्् ्््शीर्षक ्् ्््छाया चित्र में दिखाया गया दीपयज्ञ और, नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करें,, देश के शहीदों की समाधियों पर दीपदान करे ््् दीपावली पर दीए जलाकर किया गया है नगर कोट में,, भैरव भवानी और गणेश सर्व धर्म कर्म अर प्रथम निर्भीक साकार हो, प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। धान धनदायनी महालक्ष्मी पूजन करें जनसेवा ही, मानव जीवन में एक सुख से जन्मा आत्म सम्मान जरुरी है,,।। जो भी है वो लफ्जो से भावना से मन प्रसन्न हो,, प्यारा सा देश है संविधान से चलेगा,, तो हर कोई बाशिन्दा देश धर्म संस्कृति का, अनुठा दीपदान करने वाली प्रेरणा स्त्रोत बना सके।। जो स्वाधीनता के शहीदों की कूरबानी में आंखें डालकर उन वीरों की शहादत को सलाम करते हुए ,, हर नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करना परम आवश्यक है।। क्योंकि धड़कनों में बसा पंचतत्व में प्राण वायु हैं,, हर देश भक्त में शौर्यपूर्ण आन बान शान ओर जस्बात से, सजाया गया ज्ञर पर्व और त्योहार मनाना चाहिए।। तो आये सूफीवाद से भावना मन से सदभाव का, आयना नजरिया आनंद ही जिंदगी है,, यह दीपयज्ञ शहोदो की समाधि स्थल पर पहुंचे और, देश भर में दीपयज्ञ का मन से हरघर हरव्दार पर दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद ले और पहुंचे शक्ति शहीदों की, समाधियों पर ख्यालात अच्छे लगते है कथन सच्चाई है। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 1,,, नवम्बर 2024। ©Shailendra Anand

#भक्ति #happy_diwali  White रचना दिनांक 1,, नवम्बर,,2024
वार शुक्रवार
समय सुबह दस बजे
्््निज विचार ््
्््शीर्षक ््
्््छाया चित्र में दिखाया गया दीपयज्ञ और,
 नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करें,,
देश के शहीदों की समाधियों पर दीपदान करे ्््

दीपावली पर दीए जलाकर किया गया है नगर कोट में,,
 भैरव भवानी और गणेश सर्व धर्म कर्म अर प्रथम निर्भीक साकार हो,
 प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।
 धान धनदायनी महालक्ष्मी पूजन करें जनसेवा ही,
 मानव जीवन में एक सुख से जन्मा आत्म सम्मान जरुरी है,,।।
जो भी है वो लफ्जो से भावना से मन प्रसन्न हो,,
प्यारा सा देश है संविधान से चलेगा,,
 तो हर कोई बाशिन्दा देश धर्म संस्कृति का,
 अनुठा दीपदान करने वाली प्रेरणा स्त्रोत बना सके।।
जो स्वाधीनता के शहीदों की कूरबानी में आंखें डालकर 
उन वीरों की शहादत को सलाम करते हुए ,,
हर नागरिक मतदाता जागरूकता से दीपदान करना परम आवश्यक है।।
क्योंकि धड़कनों में बसा पंचतत्व में प्राण वायु हैं,,
 हर देश भक्त में शौर्यपूर्ण आन बान शान ओर जस्बात से,
 सजाया गया ज्ञर पर्व और त्योहार मनाना चाहिए।।
तो आये सूफीवाद से भावना मन से सदभाव का,
 आयना नजरिया आनंद ही जिंदगी है,,
यह दीपयज्ञ शहोदो की समाधि स्थल पर पहुंचे और,
 देश भर में दीपयज्ञ का मन से हरघर हरव्दार पर दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद ले और पहुंचे शक्ति शहीदों की,
 समाधियों पर ख्यालात अच्छे लगते है कथन सच्चाई है।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
1,,, नवम्बर 2024।

©Shailendra Anand

#happy_diwali देश भक्ति शहीदों के महत्व और आम आदमी और दीपदान का स्वरूप और प्रयोग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाना चाहिए। ्््््कवि शैलेंद्र आनं

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White :"भारत की नदियां": आओ बच्चों रचना में पहचान करते हैं। सीखने सिखाने का नया काम करते हैं।। भारत के कुछ पावन नदियों को याद । कविता के माध्यम से अब नाम करते हैं।। चमोली उतराखंड से गंगोत्री निकली आगे बढ़ बन चली भागीरथी नद आनंदा। मानसरोवर झील से ब्रह्मपुत्र निकसै उत्तराखंड अलकापुरी से नदी अलकनंदा।। गोमुख गंगोत्री गलेशियर से उदित भागीरथी किरात नदी के नाम से भीं ये जानी जाती। गढ़वाल क्षेत्र जल धारा में कोलाहल के कारण ये निर्झरणी भागीरथी सास भीं कभी कहीं जाती ।। सतोपंथ भागीरथ हिमनद से उत्पन अलकनंदा लगभग 195 km बहकर आगे बढ़ती जाती । सरस्वती धौलीगंगा नंदकिनि पिंडर सहायिका पहाड़ों कंदराओं को तोड़ती बहू बन इठलाती।। विष्णुप्रयाग धौलीगंगा से मिलती हैं मना गांव सरस्वती से । क्रनप्रयाग पिंडर सहायिका से रुद्रप्रयाग मंदाकिनी नदी से ।। देवप्रयाग उत्तरकाशी में आकर ये सरिताये भागीरथी और अलकनंदा बड़ी मन भाए। मिलकर दोनो की कल कल पानी संगम पर मां पावन पवित्र गंगा नदी कहलाए।। उत्तर प्रदेश बिहार से गुजरती बहती गंगा पश्चिम बंगाल में हुगली तटीनी बन इतराए। पबनद्वीप बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र से मिलंनकर ये मईया गंगा पदमा नाम से जाना जाए।। हिमालय पहाड़ी से कंदरा जंगल में होकर मैदानी इलाकों को तारती कभी बाढ़ भीं लेआती। मेघना नाम से गंगा ब्रह्मपुत्र के संयुक्त नीरधारा बंगाल की खाड़ी में हौले हौले अब गिरती जाती।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi

#कविताएं #रचना #sad_quotes  White :"भारत की नदियां":


आओ बच्चों रचना में पहचान करते हैं।
सीखने सिखाने का नया काम करते हैं।।
भारत के कुछ पावन नदियों को याद ।
कविता के माध्यम से अब नाम करते हैं।।

चमोली उतराखंड से गंगोत्री निकली
आगे बढ़ बन चली भागीरथी नद आनंदा।
मानसरोवर झील से ब्रह्मपुत्र निकसै 
उत्तराखंड अलकापुरी से नदी अलकनंदा।।

गोमुख गंगोत्री गलेशियर से उदित भागीरथी
किरात नदी के नाम से भीं ये जानी जाती।
गढ़वाल क्षेत्र जल धारा में कोलाहल के कारण
ये निर्झरणी भागीरथी सास भीं कभी कहीं जाती ।।

सतोपंथ भागीरथ हिमनद से उत्पन अलकनंदा 
लगभग 195 km बहकर आगे बढ़ती जाती ।
सरस्वती धौलीगंगा नंदकिनि पिंडर सहायिका 
पहाड़ों कंदराओं को तोड़ती बहू बन इठलाती।।

विष्णुप्रयाग धौलीगंगा से मिलती हैं मना गांव सरस्वती से ।
क्रनप्रयाग पिंडर सहायिका से  रुद्रप्रयाग मंदाकिनी नदी से ।।

देवप्रयाग उत्तरकाशी में आकर ये सरिताये 
भागीरथी और अलकनंदा बड़ी मन भाए।
मिलकर दोनो की कल कल पानी संगम पर 
मां पावन पवित्र गंगा नदी कहलाए।।

उत्तर प्रदेश बिहार से गुजरती बहती गंगा 
पश्चिम बंगाल में हुगली तटीनी बन इतराए।
पबनद्वीप बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र से मिलंनकर 
ये मईया गंगा पदमा नाम से जाना जाए।।

हिमालय पहाड़ी से कंदरा जंगल में होकर 
मैदानी इलाकों को तारती कभी बाढ़ भीं लेआती।
मेघना नाम से गंगा ब्रह्मपुत्र के संयुक्त नीरधारा 
बंगाल की खाड़ी में हौले हौले अब गिरती जाती।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#मृत_शैय्या #संस्कृत #विचार #मौनता #indianwriters

स्वलिखित संस्कृत रचना शीर्षक मौनता . . विधा विचार . .

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#devotionally_spiritually_taru #शायरी #tarukikalam #Trending #Quotes

स्वरचित रचना #tarukikalam #Quotes #Poetry #Trending #Hindi #Life #Nojoto #devotionally_spiritually_taru

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White " विचारो में भिन्नता " हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं। मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।। बस नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।। पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी। दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।। नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं। नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।। काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता तो विकाश की बहती पावन धारा होता। प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।। पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।। कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं। ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी किसी को भी मात दे देते हैं। अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।। बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं। बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।। तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम। ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi

#कविता #रचना #love_shayari  White " विचारो में भिन्नता "

हम उस बंजर भूमि के प्राणि हैं जहां के 
लोगों को दूर के ढोल सुहांवन लगते हैं।

मेहफिले तो यहां भी सजी हैं और वहां भी सजी हैं 
पर किसी को नदी नही नाली ही मनभावन लगते हैं।।

बस  नज़र और नजरिए का अन्तर हैं हुजुर देखो तो 
किसी को सौ हंड्रेड तो किसीको फिफ्टी टू बावन लगते हैं

यहीं नहीं, सोचे तो ये उच्च नीच का भेद बड़ा अजीब है
 जो बुद्धि और विचारो से सब दुष्ट बामन लगते हैं।।

पॉलिटिक्स ताकत के पीछे ये दुम हिलाते करते हैं चापलूसी।
दूसरो को नीचा दिखाने में मिलती हैं इनको बहुत खुशी।।

नफरत की निगाह से यहां सब एक दूसरे को देखते हैं।
नियत की नियती कौन जानें फिर भी जालिम हाथ सेकते हैं।।

काश उनमें स्नेह होता भाईचारा होता 
तो विकाश की बहती पावन धारा होता।

प्रफूलित हों उठता सबका तन मन संघ
दरिया में डूबे तिनके का सहारा होता।।

पर गिरे हुए हैं कुछ असमाजिक तत्व लोग 
जो अक्सर गिराने में लगे हैं ख़ुद को भी

 औरों को भी करते हैं बेवजह अपमान ये
अपनो को छोड़ते नहीं कभी गैरों को भी ।।

कोई इन्हे लेवरचटवा धूर्त या चमचा भीं कहते हैं।
ये पढ़े लिखे भ्रष्ट कभी  किसी को भी मात दे देते हैं।

अगर समझो तो ये मिट्टी सोना है और सोना मिट्टी हैं 
ऐसे लोगों को चुंगुला अशिष्ठ व्यभाचारी बेलचा कहते हैं।।

बिगड़ा कुछ नहीं है यहां आपस की बस ताल मेल बिगड़ी हैं।
बड़े मियां छोटे मियां के चक्कर में पक रही जली भूनी खीचड़ी हैं।।

तू तू मैं मैं की होड़ लगी है अपना बनता जाए बस काम।
 ईमानदार सज्जन जाए भाड़ में बगल में छूरी मूख में राम।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
               भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi

White संपूर्ण अवतार वाणी एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है ©Kesh Karan nishad

 White संपूर्ण अवतार वाणी 
एक ज्योति है सबके अंदर नर है चाहे नारी है
शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण क्षत्रिय एक की रचना सारी है

©Kesh Karan nishad

## प्रभु की रचना##

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