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New '*उदास फिरता है अब मोहल्ले में बारिश का पानी* *कश्तियां बनाने वाले बच्चे मोबाइल से इश्क़ कर बैठे*' Status, Photo, Video

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ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं ©s गोल्डी

 ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं
 
अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं

©s गोल्डी

ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं

14 Love

#वीडियो

कलाकारों ने पंडाल में बैठे दर्शकों का मनमोहा

99 View

#शायरी  उदास फिरता है मोहल्ले में बारिश का पानी,
कश्तियाँ बनाने वाले बच्चे इश्क़ कर बैठे हैं!

©मुसाफ़िर क़लम

बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी

90 View

#वीडियो

गांव में जब नया डीजे लाया जाता है तो गांव की गली में साउंड लगाकर प्रचार करते हैं और मोहल्ले के बच्चे आकर डीजे का आनंद लेते हैं

144 View

White उदास फिरता है अब वो बारिश का पानी, कागज़ की नाव की जगह मोबाइल ने लेली है जब से। ©||स्वयं लेखन||

#विचार #Life_experience #weather_today #thought  White उदास फिरता है अब वो बारिश का पानी, 
कागज़ की नाव की जगह मोबाइल ने लेली है जब से।

©||स्वयं लेखन||

उदास फिरता है अब वो बारिश का पानी, कागज़ की नाव की जगह मोबाइल ने लेली है जब से। #weather_today #thought #Life #Life_experience

13 Love

White ग़ज़ल नही वो अब ढिलाई कर रहा है । लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।। नसीबों से मिली थी जिसको बेटी  उसी को अब पराई कर रहा है ।। जिसे दिल में छुपाकर रख्खा बरसो । वही अब बेवफ़ाई कर रहा है ।। बचे दिन कितने तेरी ज़िन्दगी के । दिनों की क्यों गिनाई कर रहा है ।। तरसते बच्चे हैं बनियान को अब ।  है लानत  तू कमाई कर रहा है ।। भला संसार में जो भी यहाँ है । उसी की क्यों खिंचाई कर रहा है ।। खता अपनी छुपाकर वो प्रखर से । बहुत देखो ढिठाई कर रहा है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल
नही वो अब ढिलाई कर रहा है ।
लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।।

नसीबों से मिली थी जिसको बेटी 
उसी को अब पराई कर रहा है ।।

जिसे दिल में छुपाकर रख्खा बरसो ।
वही अब बेवफ़ाई कर रहा है ।।

बचे दिन कितने तेरी ज़िन्दगी के ।
दिनों की क्यों गिनाई कर रहा है ।।

तरसते बच्चे हैं बनियान को अब ।
 है लानत  तू कमाई कर रहा है ।।

भला संसार में जो भी यहाँ है ।
उसी की क्यों खिंचाई कर रहा है ।।

खता अपनी छुपाकर वो प्रखर से ।
बहुत देखो ढिठाई कर रहा है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल नही वो अब ढिलाई कर रहा है । लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।।

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ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं ©s गोल्डी

 ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं
 
अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं

©s गोल्डी

ये ख़ुद गर्जियों का दौर है कोई बचपन की कहानी नहीं अब दिलों में नफ़रत भरते हैं लोग, घड़ों में पानी नहीं

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कलाकारों ने पंडाल में बैठे दर्शकों का मनमोहा

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#शायरी  उदास फिरता है मोहल्ले में बारिश का पानी,
कश्तियाँ बनाने वाले बच्चे इश्क़ कर बैठे हैं!

©मुसाफ़िर क़लम

बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी

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गांव में जब नया डीजे लाया जाता है तो गांव की गली में साउंड लगाकर प्रचार करते हैं और मोहल्ले के बच्चे आकर डीजे का आनंद लेते हैं

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White उदास फिरता है अब वो बारिश का पानी, कागज़ की नाव की जगह मोबाइल ने लेली है जब से। ©||स्वयं लेखन||

#विचार #Life_experience #weather_today #thought  White उदास फिरता है अब वो बारिश का पानी, 
कागज़ की नाव की जगह मोबाइल ने लेली है जब से।

©||स्वयं लेखन||

उदास फिरता है अब वो बारिश का पानी, कागज़ की नाव की जगह मोबाइल ने लेली है जब से। #weather_today #thought #Life #Life_experience

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White ग़ज़ल नही वो अब ढिलाई कर रहा है । लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।। नसीबों से मिली थी जिसको बेटी  उसी को अब पराई कर रहा है ।। जिसे दिल में छुपाकर रख्खा बरसो । वही अब बेवफ़ाई कर रहा है ।। बचे दिन कितने तेरी ज़िन्दगी के । दिनों की क्यों गिनाई कर रहा है ।। तरसते बच्चे हैं बनियान को अब ।  है लानत  तू कमाई कर रहा है ।। भला संसार में जो भी यहाँ है । उसी की क्यों खिंचाई कर रहा है ।। खता अपनी छुपाकर वो प्रखर से । बहुत देखो ढिठाई कर रहा है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल
नही वो अब ढिलाई कर रहा है ।
लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।।

नसीबों से मिली थी जिसको बेटी 
उसी को अब पराई कर रहा है ।।

जिसे दिल में छुपाकर रख्खा बरसो ।
वही अब बेवफ़ाई कर रहा है ।।

बचे दिन कितने तेरी ज़िन्दगी के ।
दिनों की क्यों गिनाई कर रहा है ।।

तरसते बच्चे हैं बनियान को अब ।
 है लानत  तू कमाई कर रहा है ।।

भला संसार में जो भी यहाँ है ।
उसी की क्यों खिंचाई कर रहा है ।।

खता अपनी छुपाकर वो प्रखर से ।
बहुत देखो ढिठाई कर रहा है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल नही वो अब ढिलाई कर रहा है । लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।।

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