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New फाल्गुन महीना 2020 Status, Photo, Video

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White फरवरी महीना- फरवरी का महीना केवल अंग्रेजी कैलेंडरों की वजह से ही चर्चा में नहीं रहता की सात फरवरी से चौदह फरवरी तक प्रेमी-प्रेमिका फूल गिफ्ट और चाकलेट वगैरह देकर एक दूसरे को प्रपोज करते हैं बल्कि फरवरी का महीना आध्यात्म, सात्विकता, मांगलिक कार्यक्रमों एवं पर्वों के कारण भी अपनी विशेषता प्रदर्शित करता है साथ ही प्रकृति का लावण्य उसकी खूबसूरती के कारण भी यह महीना बेहद खास हैं जिसे हम एहसास करते हैं अपने सांसों अपनी आँखों में अपने बदन में और पल पल गुजरते सुबह से शाम और रात तक में खेत बगीचे फुलवारियां सब पर गजब की मनोहरता बिखरी रहती है आप अपने घर की छत या बालकनी से नजर घुमाकर तो देखिए मन मोह लेगा छोटे-छोटे गमलों में सुन्दर- सुन्दर फूलों के गुच्छेदार पौधे आम अमरूद अनार तुलसी में नये-नये पत्तों की कोपलें कोमलता से झूमती पेड़ों की दरख्तों पर कोयलों मनमोहक सुर संगीत कभी पार्कों या बगीचों में जाकर देखिए मन ही नहीं करेंगा वहाँ से वापस आने का गुलाबी सुबह शाम की ठंडक मन हो तो स्वेटर पहनिए या ना मन हो तो नहीं पहनिए फैशन का भरपूर आनन्द उठाइए आपकी मर्जी ये फरवरी सबके दिलों पर राज करती है चाहे शादी व्याह मुंडन कनछेदन या गृहप्रवेश हो दिल खोलकर नाचो गाओ भोजन पानी का भरपूर आनन्द लीजिए बिंदास साज श्रृंगार करें मजाल है जो घबराहट या उल्झन हो फरवरी का ऐसा सुरूर है कि पूरे साल भर तक तरोताजगी बरकरार रहेगी मन-मष्तिस्क में, प्रकृति उड़ेल- उड़ेल कर सब्जियां परोसती है रंग-बिरंगी सब्जियों से सजकर थालियां भी तो इस फरवरी में ही इठलाती हैं। किरण मिश्रा #निधि# ©Kiran Mishra

#कविता #निधि  White फरवरी महीना-


फरवरी का महीना केवल 
अंग्रेजी कैलेंडरों की वजह से ही 
चर्चा में नहीं रहता की
सात फरवरी से
चौदह फरवरी तक 
प्रेमी-प्रेमिका 
फूल गिफ्ट और चाकलेट वगैरह
देकर एक दूसरे को प्रपोज करते  हैं
 बल्कि फरवरी का महीना 
आध्यात्म, सात्विकता, मांगलिक
कार्यक्रमों एवं पर्वों के कारण भी
अपनी विशेषता प्रदर्शित करता है
साथ ही प्रकृति का लावण्य
उसकी खूबसूरती के कारण भी
 यह महीना बेहद खास हैं 
जिसे हम एहसास करते हैं 
अपने सांसों अपनी आँखों में 
अपने बदन में और 
पल पल गुजरते सुबह से शाम 
और रात तक में
खेत बगीचे फुलवारियां 
सब पर गजब की मनोहरता
बिखरी रहती है
आप अपने घर की छत या 
बालकनी से नजर घुमाकर तो 
देखिए मन मोह लेगा छोटे-छोटे 
गमलों में सुन्दर- सुन्दर फूलों के 
गुच्छेदार पौधे
आम अमरूद अनार तुलसी में
 नये-नये पत्तों की कोपलें
कोमलता से झूमती
पेड़ों की दरख्तों पर कोयलों
मनमोहक सुर संगीत
कभी पार्कों या बगीचों में 
जाकर देखिए
मन ही नहीं करेंगा 
वहाँ से वापस आने का 
गुलाबी सुबह शाम की ठंडक
मन हो तो स्वेटर पहनिए
 या ना मन हो तो नहीं पहनिए
फैशन का भरपूर आनन्द उठाइए 
आपकी मर्जी
ये फरवरी सबके दिलों पर 
राज करती है
चाहे शादी व्याह 
मुंडन कनछेदन या गृहप्रवेश हो
दिल खोलकर नाचो गाओ
भोजन पानी का भरपूर 
आनन्द लीजिए
बिंदास साज श्रृंगार करें
मजाल है जो घबराहट 
या उल्झन हो
फरवरी का ऐसा सुरूर है कि
 पूरे साल भर तक
तरोताजगी बरकरार रहेगी 
मन-मष्तिस्क में, 
प्रकृति उड़ेल- उड़ेल कर 
सब्जियां परोसती है
रंग-बिरंगी सब्जियों से 
सजकर थालियां भी तो
इस फरवरी में ही इठलाती हैं।
किरण मिश्रा #निधि#

©Kiran Mishra

फरवरी का महीना

11 Love

White जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा-जीयादा चलतीहें यह जमीनको गरम-ताओका-रोगहै?जब?आदमीयोंको और चोपायांन,पंखेरुओंको,गरम,ताओकी वजहसे बीमारीयांहोतीहें;और,सरदीके,महीनोंमें चार महीना सरदीका रोगरखतेहें,किजो,सरदीकीवजहसे जांनवरों वगैराको और;आदमीयों,वगेराको,ठंडा;ताओवगैरा चढताहे सोजबकि जमीनमाताको.ठंडा.ताओ चढताहे और जादुसे ठंडे ताओका.रोगकरतेहें.जब,अनाज,और बनासपतीवगेरा सरदीके,रोगकीवजहसे,जलजातीहे जेसाकि आदमीयोंको.ठंडा.ताओचढताहे और कलेजेमेंसेभी और पेटमेंसेभी.ठंडउठतीहे.उसीतरहसे जमीनकोभी सरदीकी-मोसममें;ठंडे;ताओका-रोग जादुसेकीयाहे और!जोगरमीके-दीनआतेहें-और लुऐंवगैरा जीयादा चलतीहें तोजादुसे-जमीनमाताको?गरम ताओका रोगकीयाहे और,जोआदमीको,यह,सरदी,और गरमीके रोगनहीहूं,तो हमेशां.तंन्दुरस्तीसे.सरीररहताहे और तबीयत खुशरहतीहे..... ( २४७ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274

#भक्ति  White जय परमेश्वर 
यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा-जीयादा चलतीहें यह जमीनको गरम-ताओका-रोगहै?जब?आदमीयोंको और चोपायांन,पंखेरुओंको,गरम,ताओकी वजहसे बीमारीयांहोतीहें;और,सरदीके,महीनोंमें चार महीना सरदीका रोगरखतेहें,किजो,सरदीकीवजहसे जांनवरों वगैराको और;आदमीयों,वगेराको,ठंडा;ताओवगैरा चढताहे सोजबकि जमीनमाताको.ठंडा.ताओ चढताहे और जादुसे ठंडे ताओका.रोगकरतेहें.जब,अनाज,और बनासपतीवगेरा सरदीके,रोगकीवजहसे,जलजातीहे जेसाकि आदमीयोंको.ठंडा.ताओचढताहे और कलेजेमेंसेभी और पेटमेंसेभी.ठंडउठतीहे.उसीतरहसे जमीनकोभी सरदीकी-मोसममें;ठंडे;ताओका-रोग जादुसेकीयाहे और!जोगरमीके-दीनआतेहें-और लुऐंवगैरा जीयादा चलतीहें तोजादुसे-जमीनमाताको?गरम ताओका रोगकीयाहे और,जोआदमीको,यह,सरदी,और गरमीके रोगनहीहूं,तो हमेशां.तंन्दुरस्तीसे.सरीररहताहे और तबीयत खुशरहतीहे..... ( २४७ )

अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो 
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

©JAGAT HITKARNI 274

जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा

10 Love

White फरवरी महीना- फरवरी का महीना केवल अंग्रेजी कैलेंडरों की वजह से ही चर्चा में नहीं रहता की सात फरवरी से चौदह फरवरी तक प्रेमी-प्रेमिका फूल गिफ्ट और चाकलेट वगैरह देकर एक दूसरे को प्रपोज करते हैं बल्कि फरवरी का महीना आध्यात्म, सात्विकता, मांगलिक कार्यक्रमों एवं पर्वों के कारण भी अपनी विशेषता प्रदर्शित करता है साथ ही प्रकृति का लावण्य उसकी खूबसूरती के कारण भी यह महीना बेहद खास हैं जिसे हम एहसास करते हैं अपने सांसों अपनी आँखों में अपने बदन में और पल पल गुजरते सुबह से शाम और रात तक में खेत बगीचे फुलवारियां सब पर गजब की मनोहरता बिखरी रहती है आप अपने घर की छत या बालकनी से नजर घुमाकर तो देखिए मन मोह लेगा छोटे-छोटे गमलों में सुन्दर- सुन्दर फूलों के गुच्छेदार पौधे आम अमरूद अनार तुलसी में नये-नये पत्तों की कोपलें कोमलता से झूमती पेड़ों की दरख्तों पर कोयलों मनमोहक सुर संगीत कभी पार्कों या बगीचों में जाकर देखिए मन ही नहीं करेंगा वहाँ से वापस आने का गुलाबी सुबह शाम की ठंडक मन हो तो स्वेटर पहनिए या ना मन हो तो नहीं पहनिए फैशन का भरपूर आनन्द उठाइए आपकी मर्जी ये फरवरी सबके दिलों पर राज करती है चाहे शादी व्याह मुंडन कनछेदन या गृहप्रवेश हो दिल खोलकर नाचो गाओ भोजन पानी का भरपूर आनन्द लीजिए बिंदास साज श्रृंगार करें मजाल है जो घबराहट या उल्झन हो फरवरी का ऐसा सुरूर है कि पूरे साल भर तक तरोताजगी बरकरार रहेगी मन-मष्तिस्क में, प्रकृति उड़ेल- उड़ेल कर सब्जियां परोसती है रंग-बिरंगी सब्जियों से सजकर थालियां भी तो इस फरवरी में ही इठलाती हैं। किरण मिश्रा #निधि# ©Kiran Mishra

#कविता #निधि  White फरवरी महीना-


फरवरी का महीना केवल 
अंग्रेजी कैलेंडरों की वजह से ही 
चर्चा में नहीं रहता की
सात फरवरी से
चौदह फरवरी तक 
प्रेमी-प्रेमिका 
फूल गिफ्ट और चाकलेट वगैरह
देकर एक दूसरे को प्रपोज करते  हैं
 बल्कि फरवरी का महीना 
आध्यात्म, सात्विकता, मांगलिक
कार्यक्रमों एवं पर्वों के कारण भी
अपनी विशेषता प्रदर्शित करता है
साथ ही प्रकृति का लावण्य
उसकी खूबसूरती के कारण भी
 यह महीना बेहद खास हैं 
जिसे हम एहसास करते हैं 
अपने सांसों अपनी आँखों में 
अपने बदन में और 
पल पल गुजरते सुबह से शाम 
और रात तक में
खेत बगीचे फुलवारियां 
सब पर गजब की मनोहरता
बिखरी रहती है
आप अपने घर की छत या 
बालकनी से नजर घुमाकर तो 
देखिए मन मोह लेगा छोटे-छोटे 
गमलों में सुन्दर- सुन्दर फूलों के 
गुच्छेदार पौधे
आम अमरूद अनार तुलसी में
 नये-नये पत्तों की कोपलें
कोमलता से झूमती
पेड़ों की दरख्तों पर कोयलों
मनमोहक सुर संगीत
कभी पार्कों या बगीचों में 
जाकर देखिए
मन ही नहीं करेंगा 
वहाँ से वापस आने का 
गुलाबी सुबह शाम की ठंडक
मन हो तो स्वेटर पहनिए
 या ना मन हो तो नहीं पहनिए
फैशन का भरपूर आनन्द उठाइए 
आपकी मर्जी
ये फरवरी सबके दिलों पर 
राज करती है
चाहे शादी व्याह 
मुंडन कनछेदन या गृहप्रवेश हो
दिल खोलकर नाचो गाओ
भोजन पानी का भरपूर 
आनन्द लीजिए
बिंदास साज श्रृंगार करें
मजाल है जो घबराहट 
या उल्झन हो
फरवरी का ऐसा सुरूर है कि
 पूरे साल भर तक
तरोताजगी बरकरार रहेगी 
मन-मष्तिस्क में, 
प्रकृति उड़ेल- उड़ेल कर 
सब्जियां परोसती है
रंग-बिरंगी सब्जियों से 
सजकर थालियां भी तो
इस फरवरी में ही इठलाती हैं।
किरण मिश्रा #निधि#

©Kiran Mishra

फरवरी का महीना

11 Love

White जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा-जीयादा चलतीहें यह जमीनको गरम-ताओका-रोगहै?जब?आदमीयोंको और चोपायांन,पंखेरुओंको,गरम,ताओकी वजहसे बीमारीयांहोतीहें;और,सरदीके,महीनोंमें चार महीना सरदीका रोगरखतेहें,किजो,सरदीकीवजहसे जांनवरों वगैराको और;आदमीयों,वगेराको,ठंडा;ताओवगैरा चढताहे सोजबकि जमीनमाताको.ठंडा.ताओ चढताहे और जादुसे ठंडे ताओका.रोगकरतेहें.जब,अनाज,और बनासपतीवगेरा सरदीके,रोगकीवजहसे,जलजातीहे जेसाकि आदमीयोंको.ठंडा.ताओचढताहे और कलेजेमेंसेभी और पेटमेंसेभी.ठंडउठतीहे.उसीतरहसे जमीनकोभी सरदीकी-मोसममें;ठंडे;ताओका-रोग जादुसेकीयाहे और!जोगरमीके-दीनआतेहें-और लुऐंवगैरा जीयादा चलतीहें तोजादुसे-जमीनमाताको?गरम ताओका रोगकीयाहे और,जोआदमीको,यह,सरदी,और गरमीके रोगनहीहूं,तो हमेशां.तंन्दुरस्तीसे.सरीररहताहे और तबीयत खुशरहतीहे..... ( २४७ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274

#भक्ति  White जय परमेश्वर 
यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा-जीयादा चलतीहें यह जमीनको गरम-ताओका-रोगहै?जब?आदमीयोंको और चोपायांन,पंखेरुओंको,गरम,ताओकी वजहसे बीमारीयांहोतीहें;और,सरदीके,महीनोंमें चार महीना सरदीका रोगरखतेहें,किजो,सरदीकीवजहसे जांनवरों वगैराको और;आदमीयों,वगेराको,ठंडा;ताओवगैरा चढताहे सोजबकि जमीनमाताको.ठंडा.ताओ चढताहे और जादुसे ठंडे ताओका.रोगकरतेहें.जब,अनाज,और बनासपतीवगेरा सरदीके,रोगकीवजहसे,जलजातीहे जेसाकि आदमीयोंको.ठंडा.ताओचढताहे और कलेजेमेंसेभी और पेटमेंसेभी.ठंडउठतीहे.उसीतरहसे जमीनकोभी सरदीकी-मोसममें;ठंडे;ताओका-रोग जादुसेकीयाहे और!जोगरमीके-दीनआतेहें-और लुऐंवगैरा जीयादा चलतीहें तोजादुसे-जमीनमाताको?गरम ताओका रोगकीयाहे और,जोआदमीको,यह,सरदी,और गरमीके रोगनहीहूं,तो हमेशां.तंन्दुरस्तीसे.सरीररहताहे और तबीयत खुशरहतीहे..... ( २४७ )

अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो 
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

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जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा

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