White शादी है या कैदगाह?
शादी है या कैदगाह,
सवाल ये क्यों है सब पे भारी।
चाहे दिल से हो जुड़ी बात,
फिर भी ख्यालों में बसी है बीमारी।
खुशियों का महल हो सकता है,
पर कभी दर्द भी छिपा हो।
कभी बेड़ियाँ, कभी दिल का राज़,
इन्हीं में फंसा इंसान तो रो हो।
मुलायम लम्हें, हंसी की बौछार,
पर किसी दिन घुटन सा अहसास।
स्वतंत्रता का सपना, फिर टूटे,
जब तंग हो जाती है रिश्तों की दीवार।
फिर भी, कुछ कहें या न कहें,
सच्ची चाहत में बसी है मिठास।
शादी है बंधन या स्वतंत्रता,
रिश्ते में वो सच दिखता है पास।
शादी है या कैदगाह,
सिर्फ दिलों की बातों में है फर्क।
अगर चाहो, तो प्यार बना सको,
नहीं, तो वो सिर्फ बोझ बने सब कुछ।
©aditi the writer
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