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New कुत्ता लालची कुत्ता Status, Photo, Video

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मालिक कुत्ता पाल सकता है मगर नौकर का मालिक बन जाना बर्दाश नहीं

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White हर बार की तरह इस बार भी रावण बस कहने के लिए ही मरेगा, भेष बदलकर कहीं ना कहीं किसी और इंसान में जरूर दिखेगा, अगर मारना ही है तो अपने अंदर बसे उसे लालची रावण को मारो जो कहीं ना कहीं किसी और भेष में किसी और को ठगेगा..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #happydashera #hpstrange #Dussehra #36gyan  White हर बार की तरह इस बार भी 
रावण बस कहने के लिए ही मरेगा,
भेष बदलकर कहीं ना कहीं 
किसी और इंसान में जरूर दिखेगा,
अगर मारना ही है तो अपने अंदर बसे 
उसे लालची रावण को मारो 
जो कहीं ना कहीं किसी और भेष में 
किसी और को ठगेगा..!

©Himanshu Prajapati

#Dussehra हर बार की तरह इस बार भी रावण बस कहने के लिए ही मरेगा, भेष बदलकर कहीं ना कहीं किसी और इंसान में जरूर दिखेगा, अगर मारना ही है तो अ

12 Love

#funnyशॉर्ट्स #कॉमेडी #comedyfilms #Funny

#Funny 😆😁जंगली कुत्ता है जी 😜🤪 #comedyfilms #funnyशॉर्ट्स 😁😆

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इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा , लालची स्वभाव , नास्तिक व्यवहार , असत्य ,झूठ , अपशब्द , दुष्टता, यह सब नरक के द्वार खोलते हैं और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं ©person

#Motivational  इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य 
स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा ,
लालची स्वभाव ,
नास्तिक व्यवहार ,
असत्य ,झूठ ,
अपशब्द , दुष्टता,
यह सब नरक  के द्वार खोलते हैं 
और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं

©person

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके

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गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं ©person

#Motivational  गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। 

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।

क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं

©person

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,

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मालिक कुत्ता पाल सकता है मगर नौकर का मालिक बन जाना बर्दाश नहीं

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White हर बार की तरह इस बार भी रावण बस कहने के लिए ही मरेगा, भेष बदलकर कहीं ना कहीं किसी और इंसान में जरूर दिखेगा, अगर मारना ही है तो अपने अंदर बसे उसे लालची रावण को मारो जो कहीं ना कहीं किसी और भेष में किसी और को ठगेगा..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #happydashera #hpstrange #Dussehra #36gyan  White हर बार की तरह इस बार भी 
रावण बस कहने के लिए ही मरेगा,
भेष बदलकर कहीं ना कहीं 
किसी और इंसान में जरूर दिखेगा,
अगर मारना ही है तो अपने अंदर बसे 
उसे लालची रावण को मारो 
जो कहीं ना कहीं किसी और भेष में 
किसी और को ठगेगा..!

©Himanshu Prajapati

#Dussehra हर बार की तरह इस बार भी रावण बस कहने के लिए ही मरेगा, भेष बदलकर कहीं ना कहीं किसी और इंसान में जरूर दिखेगा, अगर मारना ही है तो अ

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#funnyशॉर्ट्स #कॉमेडी #comedyfilms #Funny

#Funny 😆😁जंगली कुत्ता है जी 😜🤪 #comedyfilms #funnyशॉर्ट्स 😁😆

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इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा , लालची स्वभाव , नास्तिक व्यवहार , असत्य ,झूठ , अपशब्द , दुष्टता, यह सब नरक के द्वार खोलते हैं और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं ©person

#Motivational  इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य 
स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा ,
लालची स्वभाव ,
नास्तिक व्यवहार ,
असत्य ,झूठ ,
अपशब्द , दुष्टता,
यह सब नरक  के द्वार खोलते हैं 
और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं

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इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके

10 Love

गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं ©person

#Motivational  गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। 

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।

क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं

©person

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,

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