Unsplash मेरा "रहबर" मेरा महबूब सपनों में मेरे साथ है,
कठिन राहों में भी मेरे सर पर उसका हाथ है,
यहां मिलना बिछड़ना तो लगा ही रहेगा मयंक,
लेकिन सच में उसकी रहबरी पर मुझको नाज़ है।
सोचो मेरे"रहबर"से जब मेरी मुलाक़ात होगी,
मेरी बाहों में वो,हाए! कितनी हसीं रात होगी,
चांदनी बिखरी उन खूबसूरत वादियों में होगी,
लफ्जों में शहद घुला हो हमारी ऐसी बात होगी।
जब उसको देखूंगा तो मेरी हिमाकत ही कहां होगी?
मैं अपनी नज़रों की पलकों को भी ना झपका सकूंगा,
पता है उसकी नज़रों के तीर कुछ यूं चलेंगे मुझ पर,
समझ नहीं आ रहा कैसे मैं हाल-ए-दिल बता सकूंगा।
©Mayank
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