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New पोएम उठो लाल अब Status, Photo, Video

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White "लाल बहादुर शास्त्री और गांधी जयंती की ढेर सारी शुभकामनाएं।।" ©Shishpal Chauhan

#विचार #लाल  White "लाल बहादुर शास्त्री 
और 
गांधी जयंती 
की ढेर सारी शुभकामनाएं।।"

©Shishpal Chauhan

#लाल बहादुर शास्त्री, gandhi_jayanti

11 Love

❣️❣️❣️जय श्री कृष्ण ❣️❣️❣️ ©Heer

 ❣️❣️❣️जय श्री कृष्ण ❣️❣️❣️

©Heer

जय यशोदा लाल की 🙌✨🎉🥰

23 Love

~हाथ जोड़ विनती करूं, हे देवकी के लाल~ करुणा करो विपदा हरो ~हे नंद यशोदा के बाल गोपाल~ ©Shalini Nigam

#YourQuoteAndMine #शायरी #देवकी #लाल #yqbaba  ~हाथ जोड़ विनती करूं, हे देवकी के लाल~ 
करुणा करो विपदा हरो 
~हे नंद यशोदा के बाल गोपाल~

©Shalini Nigam
#कॉमेडी

गोल गोल ये लाल टमाटर

99 View

 White सहेली.....
भाग्यशाली है वो जिसके 
पास सब्र और संतुष्टि है..

वरना उम्र निकल जाती है लेकिन
यह समझ नहीं आता कि जीवन
में आखिर चाहिए क्या था... 
लाला....

©Mahesh Patel

सहेली.... जीवन... लाल...

198 View

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..। चुप मत बैठो आज द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो। बहुत हुआ सदियों से रोना, धैर्य नहीं अपना खोना। चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना। रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो। रोना धोना छोड़ो देवी, अधर्मियों पर प्रहार करो। उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................। इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए। दुष्टों से पीड़ित मां बेटी , सब और कहां पर जाए। कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते। लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी को नोचे दलते। देख रही वहशी दुनिया को , है उनसे तकरार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा। घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह बांधे पकड़ा देख रहे नारी को अस्मत , मर्दित बहुतेरे जग में। छोड़ो शर्म हया मत गाओ , वनिता मादक नग में। भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन। घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना। आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष जग में जीना। आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो। विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच केश दुश्शासन ने। सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से। मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई। कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा हीन हुई। जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो। ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा पहुंचाते मन को। नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है तन को। अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी। वदन ढांक अपने वसनों से, पार हुई जग हद सारी। लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो। जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,। सर्वाधिकार सुरक्षित के एल महोबिया ✍️ 🙏 ©K L MAHOBIA

 उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..।
चुप मत बैठो आज  द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। 
काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो।
बहुत हुआ सदियों से रोना,  धैर्य नहीं अपना खोना।
चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना।
रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो।
रोना  धोना  छोड़ो देवी,  अधर्मियों पर  प्रहार  करो।
उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................।

इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए।
दुष्टों से  पीड़ित मां बेटी ,   सब और  कहां पर जाए।
कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते।
लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी   को   नोचे  दलते।
देख रही वहशी दुनिया को , है  उनसे तकरार  करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा।
घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह  बांधे पकड़ा 
देख रहे नारी को अस्मत ,  मर्दित बहुतेरे  जग  में।
छोड़ो शर्म हया  मत  गाओ , वनिता मादक नग में।
भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। 
अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन।
घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना।
आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष  जग में जीना।
आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो।
विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच  केश  दुश्शासन ने।
सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से।
मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई।
कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा  हीन  हुई।
जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो।
ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा  पहुंचाते  मन  को।
नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है  तन को।
अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी।
वदन ढांक अपने वसनों से, पार  हुई  जग हद सारी।
लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो।
जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,।
     सर्वाधिकार सुरक्षित 
   के एल महोबिया ✍️ 🙏

©K L MAHOBIA

#कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ। ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी

16 Love

White "लाल बहादुर शास्त्री और गांधी जयंती की ढेर सारी शुभकामनाएं।।" ©Shishpal Chauhan

#विचार #लाल  White "लाल बहादुर शास्त्री 
और 
गांधी जयंती 
की ढेर सारी शुभकामनाएं।।"

©Shishpal Chauhan

#लाल बहादुर शास्त्री, gandhi_jayanti

11 Love

❣️❣️❣️जय श्री कृष्ण ❣️❣️❣️ ©Heer

 ❣️❣️❣️जय श्री कृष्ण ❣️❣️❣️

©Heer

जय यशोदा लाल की 🙌✨🎉🥰

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~हाथ जोड़ विनती करूं, हे देवकी के लाल~ करुणा करो विपदा हरो ~हे नंद यशोदा के बाल गोपाल~ ©Shalini Nigam

#YourQuoteAndMine #शायरी #देवकी #लाल #yqbaba  ~हाथ जोड़ विनती करूं, हे देवकी के लाल~ 
करुणा करो विपदा हरो 
~हे नंद यशोदा के बाल गोपाल~

©Shalini Nigam
#कॉमेडी

गोल गोल ये लाल टमाटर

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 White सहेली.....
भाग्यशाली है वो जिसके 
पास सब्र और संतुष्टि है..

वरना उम्र निकल जाती है लेकिन
यह समझ नहीं आता कि जीवन
में आखिर चाहिए क्या था... 
लाला....

©Mahesh Patel

सहेली.... जीवन... लाल...

198 View

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..। चुप मत बैठो आज द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो। बहुत हुआ सदियों से रोना, धैर्य नहीं अपना खोना। चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना। रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो। रोना धोना छोड़ो देवी, अधर्मियों पर प्रहार करो। उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................। इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए। दुष्टों से पीड़ित मां बेटी , सब और कहां पर जाए। कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते। लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी को नोचे दलते। देख रही वहशी दुनिया को , है उनसे तकरार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा। घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह बांधे पकड़ा देख रहे नारी को अस्मत , मर्दित बहुतेरे जग में। छोड़ो शर्म हया मत गाओ , वनिता मादक नग में। भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन। घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना। आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष जग में जीना। आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो। विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच केश दुश्शासन ने। सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से। मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई। कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा हीन हुई। जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो। ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा पहुंचाते मन को। नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है तन को। अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी। वदन ढांक अपने वसनों से, पार हुई जग हद सारी। लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो। जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,। सर्वाधिकार सुरक्षित के एल महोबिया ✍️ 🙏 ©K L MAHOBIA

 उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..।
चुप मत बैठो आज  द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। 
काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो।
बहुत हुआ सदियों से रोना,  धैर्य नहीं अपना खोना।
चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना।
रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो।
रोना  धोना  छोड़ो देवी,  अधर्मियों पर  प्रहार  करो।
उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................।

इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए।
दुष्टों से  पीड़ित मां बेटी ,   सब और  कहां पर जाए।
कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते।
लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी   को   नोचे  दलते।
देख रही वहशी दुनिया को , है  उनसे तकरार  करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा।
घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह  बांधे पकड़ा 
देख रहे नारी को अस्मत ,  मर्दित बहुतेरे  जग  में।
छोड़ो शर्म हया  मत  गाओ , वनिता मादक नग में।
भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। 
अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन।
घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना।
आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष  जग में जीना।
आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो।
विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच  केश  दुश्शासन ने।
सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से।
मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई।
कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा  हीन  हुई।
जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो।
ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा  पहुंचाते  मन  को।
नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है  तन को।
अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी।
वदन ढांक अपने वसनों से, पार  हुई  जग हद सारी।
लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो।
जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,।
     सर्वाधिकार सुरक्षित 
   के एल महोबिया ✍️ 🙏

©K L MAHOBIA

#कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ। ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी

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