White बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।
भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट में चादर भिगो रही होगी।
कितने अरमानों को सजाया था दिल ने,
दोनों दिलों में अधूरी मोहब्बत दम तोड़ रही है।
उठ रहे हैं दिल में ना जाने कितने सवाल,
दो जवां दिलों में ख्वाहिशें दफ़्न हो रही हैं।
रोशन हो रही थी मुहब्बत चंद की रोशनी में,
यह कैसी घड़ी है जहां उम्मीदें बिखर रही हैं।
परवान चढ़ने पर था ख्वाबों सा मुंतजिर,
जैसे चांद से चकोर अलग हो रही है।
©theABHAYSINGH_BIPIN
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