White शीर्षक - करवाचौथ
गगन के चंद्र को धरा चन्दिका बुला रही।
साथ जन्म के बंधन को करवा चौथ निभा रही।
कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी पर सुहागिन,
उजले चाँद के दर्शन में अपना चाँद निहार रही।
सोलह श्रृंगार कर लाल जोड़े में रूपसी,
मां पार्वती से अखंड सौभाग्यवती का वर मांग रही।
वनिता सजाकर थाल अक्षत कुक्कुंम मोली से,
आत्मा ईश से परमात्मा की दीर्घायु मांग रही।
सदा देदिप्यमान रहे मेरा चांद जीवन पटल पर,
सुहागिन छलनी से अपने चांद को निहार रही।
प्राणप्रिय हेतु निर्जल निराहार अर्धांगिनी,
विधाता से जीवन पथ में उज्ज्वल चांदनी मांग रही।
अमर सुहाग रहे, अमर श्रृंगार रहे,
मेरे पति परमेश्वर चकोरी चांद देख रही।
डॉ॰ भगवान् सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान
©Dr. Bhagwan Sahay Meena
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