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New अनूठा पर्यायवाची Status, Photo, Video

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सब रंग उतर गए है ज़िंदगी से पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती। ज़िंदगी है तो साथ मेरे मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती। ना जाने किसकी बद्दुआ लगी है की कुछ भी अच्छा नहीं लगता। किसी भी शख़्स को मान लूँ अपना मगर वो शख़्स अपना नहीं लगता। क्या ही रौनक़ क्या ही मीठा सब कुछ तो फीका फीका है। ज़िंदगी ने तुमसे भी सींचा है ये सब या बस मेरा ही भाग्य अनूठा है। ©बेजुबान शायर shivkumar

 सब रंग उतर गए है ज़िंदगी से 
पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती।
ज़िंदगी है तो साथ मेरे 
मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती।

ना जाने किसकी बद्दुआ लगी है 
की कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
किसी भी शख़्स को मान लूँ अपना
मगर वो शख़्स अपना नहीं लगता।

क्या ही रौनक़ क्या ही मीठा
सब कुछ तो फीका फीका है।
ज़िंदगी ने तुमसे भी सींचा है ये सब 
या बस मेरा ही भाग्य अनूठा है।

©बेजुबान शायर shivkumar

सब रंग उतर गए है #ज़िंदगी से पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती। ज़िंदगी है तो साथ मेरे मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती। ना जाने किसकी बद्दुआ ल

19 Love

#विचार  White मैं अपना आशियाना ढूंढता हूं और मुझे आसमान की तलहटी पर एक पेड़ के नीचे प्रकृति की गोद में अपना घर मिल भी गया, ये प्रकृति का अनूठा नियम है।

©Satish Kumar Meena

अनूठा नियम

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"पेड़ और बहादुर गिलहरी – हिंदी एनिमेटेड बच्चों की शिक्षाप्रद नैतिक कहानी" - दूरस्थ जंगल में, विशाल पेड़ बृंदा और उसकी छोटी दोस्त चिंकी एक खत

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सब रंग उतर गए है ज़िंदगी से पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती। ज़िंदगी है तो साथ मेरे मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती। ना जाने किसकी बद्दुआ लगी है की कुछ भी अच्छा नहीं लगता। किसी भी शख़्स को मान लूँ अपना मगर वो शख़्स अपना नहीं लगता। क्या ही रौनक़ क्या ही मीठा सब कुछ तो फीका फीका है। ज़िंदगी ने तुमसे भी सींचा है ये सब या बस मेरा ही भाग्य अनूठा है। ©बेजुबान शायर shivkumar

 सब रंग उतर गए है ज़िंदगी से 
पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती।
ज़िंदगी है तो साथ मेरे 
मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती।

ना जाने किसकी बद्दुआ लगी है 
की कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
किसी भी शख़्स को मान लूँ अपना
मगर वो शख़्स अपना नहीं लगता।

क्या ही रौनक़ क्या ही मीठा
सब कुछ तो फीका फीका है।
ज़िंदगी ने तुमसे भी सींचा है ये सब 
या बस मेरा ही भाग्य अनूठा है।

©बेजुबान शायर shivkumar

सब रंग उतर गए है #ज़िंदगी से पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती। ज़िंदगी है तो साथ मेरे मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती। ना जाने किसकी बद्दुआ ल

19 Love

#विचार  White मैं अपना आशियाना ढूंढता हूं और मुझे आसमान की तलहटी पर एक पेड़ के नीचे प्रकृति की गोद में अपना घर मिल भी गया, ये प्रकृति का अनूठा नियम है।

©Satish Kumar Meena

अनूठा नियम

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"पेड़ और बहादुर गिलहरी – हिंदी एनिमेटेड बच्चों की शिक्षाप्रद नैतिक कहानी" - दूरस्थ जंगल में, विशाल पेड़ बृंदा और उसकी छोटी दोस्त चिंकी एक खत

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