मुझे प्रसन्नता होती है कि मैं तुम्हारे मन में जन्मे गम का एक छोटा सा दुःख का साथी बन पाया। मैं दुःख में हमेशा तुम्हारे आसपास पाऊंगा। मैं तुम्हारा सुख का तो नहीं बन पाया, परन्तु दुःख का साथी आजीवन रहूंगा। तुम पहले नहीं हो जो गम उबरने के बाद मेरे जीवन से चले गए। मैं इस 'जाने' की क्रिया से इम्यून हो चुका हूं। मुझे अब दर्द या पछतावा नहीं होता। मैं खुश होता हूँ कि यदि एक प्रतिशत भी मेरा योगदान तुम्हारे जीवन मे अंधकार मिटाने में रहा हो तो मैं ईश्वर का धन्यवाद करता हूँ। मुझे भी तुमसे बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं क़िस्मत वाला हूँ कि जीवन भर के लिए नहीं परन्तु कोई पल भर के लिए मेरा दोस्त था, जो सिर्फ मेरा दोस्त था। मैं आभरी हूँ इस ब्रह्मांड का। तुम्हारा जाना मुझे सूना कर दिया। मन मे एक दरार आ चुकी है। इन दिनों प्रकृति, पेड़ पौधों में भी मन नहीं लगता। अब मैंने मनुष्यों से दोस्ती करनी बन्द कर दी है। मुझे ऐसा लगता है जो शुरू हुआ है वो विघटित होकर अंत भी होगा। अंत मुबारक हो।। जीवन जिंदाबाद !!
©motivational Gyan.2
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here