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#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"होशियार तो लोमड़ी भी होती है परन्तु वह रोमहर्षक और अनुकरणीय नहीं होती है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा, सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में, तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में। बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार, जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार। पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी, फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी। चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी। कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो, प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो। या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो, ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005

#अनुप्रास #YourQuoteAndMine #anupras_alankar #sumitkikalamse #sumitmandhana #love_shayari  White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा,
सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। 

क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में,
तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में।

बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार,
जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार।

पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी  है जरूरी,
फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी।

चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, 
सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी।

कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो,
प्यार का इज़हार करने से किसी से  भी ना डरो।

या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो,
ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005

अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प

21 Love

White पूछती है लेखिनी कह कौन चित्त का चोर है..!! कह कौन मनमंदिर बसा कह कौन वह सिरमोर है..!! कहता हूं तब,जब जो मिला सब भावना का जोर है.. इक यंत्र हूं कुछ भी नहीं कागज़ कलम तक तोर है..!! जो जल रही है ज्योत पावन प्रेम जिसका नाम है बस है वही निर्मल छवि दैदीप्यता नहि थोर है..!! भावों की माटी में मिला मैं नीर अपने प्रेम का गढ़ता हूं जब मूरत मनोहर न दिखा कोई छोर है..!! तृण का हूं तृण, सर्वज्ञ वो , जिससे उजाला है मेरा हूँ मैं अपावन पावना वो , मैं निशा वो भोर है..!! उसमें मुझे जो भी दिखा, उसका ही उसको सौंपता फिर भी ना जाने क्यूँ लगे व्यक्तित्व वो घनघोर है..!! उससे ही मिलती प्रेरणा उससे ही मिलती है दिशा फिर भी ना जाने क्यूँ मेरी चर्चाएं चारों ओर है.. ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#अनुपमा #शायरी  White पूछती है लेखिनी कह कौन चित्त का चोर है..!! 
कह कौन मनमंदिर बसा कह कौन वह सिरमोर है..!! 

कहता हूं तब,जब जो मिला सब भावना का जोर है.. 
इक यंत्र हूं कुछ भी नहीं कागज़ कलम तक तोर है..!!

जो जल रही है ज्योत पावन प्रेम जिसका नाम है 
बस है वही निर्मल छवि दैदीप्यता नहि थोर है..!!

भावों की माटी में मिला मैं नीर अपने प्रेम का 
गढ़ता हूं जब मूरत मनोहर न दिखा कोई छोर है..!!

तृण का हूं तृण, सर्वज्ञ वो , जिससे उजाला है मेरा 
हूँ मैं अपावन पावना वो , मैं निशा वो भोर है..!!

उसमें मुझे जो भी दिखा, उसका ही उसको सौंपता 
फिर भी ना जाने क्यूँ लगे व्यक्तित्व वो घनघोर है..!!

उससे ही मिलती प्रेरणा उससे ही मिलती है दिशा 
फिर भी ना जाने क्यूँ मेरी चर्चाएं चारों ओर है..

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #पवित्र #शायरी #दर्द

मेरा #दर्द मुझे #पवित्र करती है..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 🍁🌀🍁🌀🍁🌀🍁

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#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"होशियार तो लोमड़ी भी होती है परन्तु वह रोमहर्षक और अनुकरणीय नहीं होती है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा, सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में, तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में। बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार, जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार। पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी, फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी। चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी। कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो, प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो। या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो, ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005

#अनुप्रास #YourQuoteAndMine #anupras_alankar #sumitkikalamse #sumitmandhana #love_shayari  White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा,
सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। 

क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में,
तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में।

बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार,
जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार।

पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी  है जरूरी,
फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी।

चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, 
सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी।

कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो,
प्यार का इज़हार करने से किसी से  भी ना डरो।

या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो,
ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005

अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प

21 Love

White पूछती है लेखिनी कह कौन चित्त का चोर है..!! कह कौन मनमंदिर बसा कह कौन वह सिरमोर है..!! कहता हूं तब,जब जो मिला सब भावना का जोर है.. इक यंत्र हूं कुछ भी नहीं कागज़ कलम तक तोर है..!! जो जल रही है ज्योत पावन प्रेम जिसका नाम है बस है वही निर्मल छवि दैदीप्यता नहि थोर है..!! भावों की माटी में मिला मैं नीर अपने प्रेम का गढ़ता हूं जब मूरत मनोहर न दिखा कोई छोर है..!! तृण का हूं तृण, सर्वज्ञ वो , जिससे उजाला है मेरा हूँ मैं अपावन पावना वो , मैं निशा वो भोर है..!! उसमें मुझे जो भी दिखा, उसका ही उसको सौंपता फिर भी ना जाने क्यूँ लगे व्यक्तित्व वो घनघोर है..!! उससे ही मिलती प्रेरणा उससे ही मिलती है दिशा फिर भी ना जाने क्यूँ मेरी चर्चाएं चारों ओर है.. ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#अनुपमा #शायरी  White पूछती है लेखिनी कह कौन चित्त का चोर है..!! 
कह कौन मनमंदिर बसा कह कौन वह सिरमोर है..!! 

कहता हूं तब,जब जो मिला सब भावना का जोर है.. 
इक यंत्र हूं कुछ भी नहीं कागज़ कलम तक तोर है..!!

जो जल रही है ज्योत पावन प्रेम जिसका नाम है 
बस है वही निर्मल छवि दैदीप्यता नहि थोर है..!!

भावों की माटी में मिला मैं नीर अपने प्रेम का 
गढ़ता हूं जब मूरत मनोहर न दिखा कोई छोर है..!!

तृण का हूं तृण, सर्वज्ञ वो , जिससे उजाला है मेरा 
हूँ मैं अपावन पावना वो , मैं निशा वो भोर है..!!

उसमें मुझे जो भी दिखा, उसका ही उसको सौंपता 
फिर भी ना जाने क्यूँ लगे व्यक्तित्व वो घनघोर है..!!

उससे ही मिलती प्रेरणा उससे ही मिलती है दिशा 
फिर भी ना जाने क्यूँ मेरी चर्चाएं चारों ओर है..

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #पवित्र #शायरी #दर्द

मेरा #दर्द मुझे #पवित्र करती है..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 🍁🌀🍁🌀🍁🌀🍁

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