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New st thomas college of engineering and technology kolkata fee structure Status, Photo, Video

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White इंजीनियर वो शिल्पकार हैं, जो सपनों को आकार देते हैं, अपने हुनर से वे नए-नए आविष्कार करते हैं। हर समस्या का समाधान उनकी सोच में बसा, उनके बिना अधूरी है ये दुनिया की दिशा। मशीनों से लेकर सॉफ्टवेयर तक, वे सबकुछ बना जाते हैं, अपने ज्ञान से वो जीवन को आसान बनाते हैं। इंजीनियर्स डे पर हम करते हैं उन्हें सलाम, जो अपनी मेहनत से करते हैं देश का नाम। HAPPY ENGINEERS DAY ©AARPANN JAIIN

#engineers_day #Engineering #development #Technology #wishes  White इंजीनियर वो शिल्पकार हैं, जो सपनों को आकार 
देते हैं,  
अपने हुनर से वे नए-नए आविष्कार करते हैं।  
हर समस्या का समाधान उनकी सोच में बसा,  
उनके बिना अधूरी है ये दुनिया की दिशा।  

मशीनों से लेकर सॉफ्टवेयर तक, वे सबकुछ बना जाते हैं,  
अपने ज्ञान से वो जीवन को आसान बनाते हैं।  
इंजीनियर्स डे पर हम करते हैं उन्हें सलाम,  
जो अपनी मेहनत से करते हैं देश का नाम।

HAPPY ENGINEERS DAY

©AARPANN JAIIN
 White कोलकाता का पुराना नाम कलकत्ता था। 1 जनवरी, 2001 से कलकत्ता का नाम आधिकारिक तौर पर कोलकाता हुआ। कालीकाता नाम का उल्लेख मुग़ल बादशाह अकबर (शासन काल, 1556-1605) के राजस्व खाते में और बंगाली कवि बिप्रदास (1495) द्वारा रचित 'मनसामंगल' में भी मिलता है।

©Vaibhav Harsh Saxena

# History of Kolkata

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#वीडियो

structure

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#RapeMuktBharat #sad_shayari #rapists

#sad_shayari #RapeMuktBharat #rapists of kolkata case#

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White " बेटी थी वो " सौ सपने और - आंखों में ख्वाब लिए बैठी थी वो " बेटी थी वो " ना कोई तर्क जिनका उन बातों को सेहती थी वो " बेटी थी वो " ये ज़ालिम समाज बेहरे भी और आंख के होते अंधे हैं , खुद का ईमान भी बेच केहते अपने तो धंधे हैं | पर उन धंधों में बर्कत भी जो देती थी जो , " बेटी थी वो " डर है, पाबंदियों के डर से पैड़ों में - बेड़िया ना कोई पड़ जाये, कब कहाॅं इंसान जैसा - पिछे भेड़िया ना कोई पड़ जाये | ऑंखों में अश्क लिये - लौटी घर को पर इक लफ़्ज़ भी ना केहती थी वो " बेटी थी वो " " फिर आई रात कयामत इक दिन " जीन ख़्वाब भरे ऑंखों को देख - सूबह बाप को था- सूकून मिला, हुई रात काली उन ऑंखों से - बाप को बेहता खून मीला | राम-राम केहने वालों - सीता खून से लथपत - लेटी थी वो " बेटी थी वो " 💔 -Ritu Raj। ©Ritu Raj

#शायरी #Kolkata  White                                              " बेटी थी वो " 

                          सौ सपने और - आंखों में ख्वाब लिए बैठी थी वो
                                               " बेटी थी वो "

                           ना कोई तर्क जिनका उन बातों को सेहती थी वो
                                              " बेटी थी वो "

                                           
 ये ज़ालिम समाज बेहरे भी और आंख के होते अंधे हैं ,
 खुद का ईमान भी बेच केहते अपने तो धंधे हैं |
    पर उन धंधों में बर्कत भी जो देती थी जो ,
                   " बेटी थी वो "

                 
                 डर है, पाबंदियों के डर से पैड़ों में - बेड़िया ना कोई पड़ जाये,
                       कब कहाॅं इंसान जैसा - पिछे भेड़िया ना कोई पड़ जाये |
                                             ऑंखों में अश्क लिये - लौटी घर को पर
                                               इक लफ़्ज़ भी ना केहती थी वो
                                                          " बेटी थी वो "

            " फिर आई रात कयामत इक दिन "

जीन ख़्वाब भरे ऑंखों को देख - सूबह बाप को था- सूकून मिला,
 हुई रात काली  उन ऑंखों से - बाप को बेहता खून मीला |
 राम-राम केहने वालों - सीता खून से लथपत - लेटी थी वो

                   " बेटी थी वो "      💔
  -Ritu Raj।

©Ritu Raj

#Kolkata

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White फिर एक सफर बिन मंजिल पाएं बिखर गया...... #Kolkata...🤐 ©प्रीति

#विचार #Kolkata  White फिर एक सफर बिन मंजिल पाएं बिखर गया......





#Kolkata...🤐

©प्रीति

#Kolkata..

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White इंजीनियर वो शिल्पकार हैं, जो सपनों को आकार देते हैं, अपने हुनर से वे नए-नए आविष्कार करते हैं। हर समस्या का समाधान उनकी सोच में बसा, उनके बिना अधूरी है ये दुनिया की दिशा। मशीनों से लेकर सॉफ्टवेयर तक, वे सबकुछ बना जाते हैं, अपने ज्ञान से वो जीवन को आसान बनाते हैं। इंजीनियर्स डे पर हम करते हैं उन्हें सलाम, जो अपनी मेहनत से करते हैं देश का नाम। HAPPY ENGINEERS DAY ©AARPANN JAIIN

#engineers_day #Engineering #development #Technology #wishes  White इंजीनियर वो शिल्पकार हैं, जो सपनों को आकार 
देते हैं,  
अपने हुनर से वे नए-नए आविष्कार करते हैं।  
हर समस्या का समाधान उनकी सोच में बसा,  
उनके बिना अधूरी है ये दुनिया की दिशा।  

मशीनों से लेकर सॉफ्टवेयर तक, वे सबकुछ बना जाते हैं,  
अपने ज्ञान से वो जीवन को आसान बनाते हैं।  
इंजीनियर्स डे पर हम करते हैं उन्हें सलाम,  
जो अपनी मेहनत से करते हैं देश का नाम।

HAPPY ENGINEERS DAY

©AARPANN JAIIN
 White कोलकाता का पुराना नाम कलकत्ता था। 1 जनवरी, 2001 से कलकत्ता का नाम आधिकारिक तौर पर कोलकाता हुआ। कालीकाता नाम का उल्लेख मुग़ल बादशाह अकबर (शासन काल, 1556-1605) के राजस्व खाते में और बंगाली कवि बिप्रदास (1495) द्वारा रचित 'मनसामंगल' में भी मिलता है।

©Vaibhav Harsh Saxena

# History of Kolkata

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#वीडियो

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#RapeMuktBharat #sad_shayari #rapists

#sad_shayari #RapeMuktBharat #rapists of kolkata case#

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White " बेटी थी वो " सौ सपने और - आंखों में ख्वाब लिए बैठी थी वो " बेटी थी वो " ना कोई तर्क जिनका उन बातों को सेहती थी वो " बेटी थी वो " ये ज़ालिम समाज बेहरे भी और आंख के होते अंधे हैं , खुद का ईमान भी बेच केहते अपने तो धंधे हैं | पर उन धंधों में बर्कत भी जो देती थी जो , " बेटी थी वो " डर है, पाबंदियों के डर से पैड़ों में - बेड़िया ना कोई पड़ जाये, कब कहाॅं इंसान जैसा - पिछे भेड़िया ना कोई पड़ जाये | ऑंखों में अश्क लिये - लौटी घर को पर इक लफ़्ज़ भी ना केहती थी वो " बेटी थी वो " " फिर आई रात कयामत इक दिन " जीन ख़्वाब भरे ऑंखों को देख - सूबह बाप को था- सूकून मिला, हुई रात काली उन ऑंखों से - बाप को बेहता खून मीला | राम-राम केहने वालों - सीता खून से लथपत - लेटी थी वो " बेटी थी वो " 💔 -Ritu Raj। ©Ritu Raj

#शायरी #Kolkata  White                                              " बेटी थी वो " 

                          सौ सपने और - आंखों में ख्वाब लिए बैठी थी वो
                                               " बेटी थी वो "

                           ना कोई तर्क जिनका उन बातों को सेहती थी वो
                                              " बेटी थी वो "

                                           
 ये ज़ालिम समाज बेहरे भी और आंख के होते अंधे हैं ,
 खुद का ईमान भी बेच केहते अपने तो धंधे हैं |
    पर उन धंधों में बर्कत भी जो देती थी जो ,
                   " बेटी थी वो "

                 
                 डर है, पाबंदियों के डर से पैड़ों में - बेड़िया ना कोई पड़ जाये,
                       कब कहाॅं इंसान जैसा - पिछे भेड़िया ना कोई पड़ जाये |
                                             ऑंखों में अश्क लिये - लौटी घर को पर
                                               इक लफ़्ज़ भी ना केहती थी वो
                                                          " बेटी थी वो "

            " फिर आई रात कयामत इक दिन "

जीन ख़्वाब भरे ऑंखों को देख - सूबह बाप को था- सूकून मिला,
 हुई रात काली  उन ऑंखों से - बाप को बेहता खून मीला |
 राम-राम केहने वालों - सीता खून से लथपत - लेटी थी वो

                   " बेटी थी वो "      💔
  -Ritu Raj।

©Ritu Raj

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White फिर एक सफर बिन मंजिल पाएं बिखर गया...... #Kolkata...🤐 ©प्रीति

#विचार #Kolkata  White फिर एक सफर बिन मंजिल पाएं बिखर गया......





#Kolkata...🤐

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