tags

New social house poetry in hindi Status, Photo, Video

Find the latest Status about social house poetry in hindi from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about social house poetry in hindi.

  • Latest
  • Popular
  • Video

Unsplash एक खामोशी जब. गहरी अता हो... जिस्म मिटे... रूह खुदा हो... ये शोरत,नाम ,मुकाम सभी... मिट्टी, मिट्टी... या फिर धुआ, धुआ हो.. होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... ज़मीन पे तेरे होने पर... आखरी नींद तेरे सोने पर. ©Anudeep

#library  Unsplash एक खामोशी जब.
गहरी अता हो... 
जिस्म मिटे... 
रूह खुदा हो... 

ये  शोरत,नाम ,मुकाम सभी... 
मिट्टी, मिट्टी...
या फिर धुआ, धुआ हो.. 

होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... 
ज़मीन पे तेरे होने पर... 
आखरी नींद तेरे सोने पर.

©Anudeep

#library poetry in hindi love poetry in hindi hindi poetry hindi poetry

18 Love

जीवन सजीव,सुखद गतिशील,क्रियाशील,दीर्घायु प्राणयुक्त,जीवनरेखा,जीवनपर्यंत,चेतनापूर्ण व्यतीत,समर्पित,संघर्षी जीवंत,सुखमय प्राण। मृत्यु भयावह,विकराल मारक,नाशक,नष्टकर अंत,विराम,काल हंता,अवरोधक,प्राणांत,निधन दमघोंटू,दुखद मौत। ©Bharat Bhushan pathak

 जीवन
सजीव,सुखद
गतिशील,क्रियाशील,दीर्घायु
प्राणयुक्त,जीवनरेखा,जीवनपर्यंत,चेतनापूर्ण
व्यतीत,समर्पित,संघर्षी
जीवंत,सुखमय
प्राण।

मृत्यु
भयावह,विकराल
मारक,नाशक,नष्टकर
अंत,विराम,काल
हंता,अवरोधक,प्राणांत,निधन
दमघोंटू,दुखद
मौत।

©Bharat Bhushan pathak

love poetry in hindi poetry lovers hindi poetry poetry in hindi poetry quotes

17 Love

खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry love poetry in hindi

11 Love

#आडंबर #Life_experience #sumitkikalamse #sumitmandhana #sumitgaurav #Social

आडंबर..एक सच #true #Truth #Sach #sumitkikalamse #sumitmandhana #sumitgaurav #Life_experience #Life #आडंबर #Social poetry lovers hindi p

144 View

poetry in hindi love poetry in english love poetry in hindi

81 View

जिस सुबह अख़बार पढ़ते वक्त मैं सुन पाता हूँ माँ को रसोई में एक गीत गाते हुए तो मैं समझ जाता हूँ की आज दाल में तड़का होगा सब्जी का रंग ज़रा ज़्यादा चटक होगा जितनी सहजता से माँ संगीत को ज़ायके में बदल देती है... उतनी ही सहजता से मैं बचे हुए जीवन को प्रेम में बदलना चाहता हूँ.... ©Rishi Ranjan

 जिस सुबह अख़बार पढ़ते वक्त
मैं सुन पाता हूँ
माँ को रसोई में एक गीत गाते हुए तो 
मैं समझ जाता हूँ की 
आज दाल में तड़का होगा
सब्जी का रंग ज़रा ज़्यादा चटक होगा
जितनी सहजता से माँ
संगीत को ज़ायके में बदल देती है...
उतनी ही सहजता से मैं 
बचे हुए जीवन को 
प्रेम में बदलना चाहता हूँ....

©Rishi Ranjan

hindi poetry poetry in hindi love poetry in hindi metaphysical poetry sad poetry

13 Love

Unsplash एक खामोशी जब. गहरी अता हो... जिस्म मिटे... रूह खुदा हो... ये शोरत,नाम ,मुकाम सभी... मिट्टी, मिट्टी... या फिर धुआ, धुआ हो.. होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... ज़मीन पे तेरे होने पर... आखरी नींद तेरे सोने पर. ©Anudeep

#library  Unsplash एक खामोशी जब.
गहरी अता हो... 
जिस्म मिटे... 
रूह खुदा हो... 

ये  शोरत,नाम ,मुकाम सभी... 
मिट्टी, मिट्टी...
या फिर धुआ, धुआ हो.. 

होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... 
ज़मीन पे तेरे होने पर... 
आखरी नींद तेरे सोने पर.

©Anudeep

#library poetry in hindi love poetry in hindi hindi poetry hindi poetry

18 Love

जीवन सजीव,सुखद गतिशील,क्रियाशील,दीर्घायु प्राणयुक्त,जीवनरेखा,जीवनपर्यंत,चेतनापूर्ण व्यतीत,समर्पित,संघर्षी जीवंत,सुखमय प्राण। मृत्यु भयावह,विकराल मारक,नाशक,नष्टकर अंत,विराम,काल हंता,अवरोधक,प्राणांत,निधन दमघोंटू,दुखद मौत। ©Bharat Bhushan pathak

 जीवन
सजीव,सुखद
गतिशील,क्रियाशील,दीर्घायु
प्राणयुक्त,जीवनरेखा,जीवनपर्यंत,चेतनापूर्ण
व्यतीत,समर्पित,संघर्षी
जीवंत,सुखमय
प्राण।

मृत्यु
भयावह,विकराल
मारक,नाशक,नष्टकर
अंत,विराम,काल
हंता,अवरोधक,प्राणांत,निधन
दमघोंटू,दुखद
मौत।

©Bharat Bhushan pathak

love poetry in hindi poetry lovers hindi poetry poetry in hindi poetry quotes

17 Love

खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry love poetry in hindi

11 Love

#आडंबर #Life_experience #sumitkikalamse #sumitmandhana #sumitgaurav #Social

आडंबर..एक सच #true #Truth #Sach #sumitkikalamse #sumitmandhana #sumitgaurav #Life_experience #Life #आडंबर #Social poetry lovers hindi p

144 View

poetry in hindi love poetry in english love poetry in hindi

81 View

जिस सुबह अख़बार पढ़ते वक्त मैं सुन पाता हूँ माँ को रसोई में एक गीत गाते हुए तो मैं समझ जाता हूँ की आज दाल में तड़का होगा सब्जी का रंग ज़रा ज़्यादा चटक होगा जितनी सहजता से माँ संगीत को ज़ायके में बदल देती है... उतनी ही सहजता से मैं बचे हुए जीवन को प्रेम में बदलना चाहता हूँ.... ©Rishi Ranjan

 जिस सुबह अख़बार पढ़ते वक्त
मैं सुन पाता हूँ
माँ को रसोई में एक गीत गाते हुए तो 
मैं समझ जाता हूँ की 
आज दाल में तड़का होगा
सब्जी का रंग ज़रा ज़्यादा चटक होगा
जितनी सहजता से माँ
संगीत को ज़ायके में बदल देती है...
उतनी ही सहजता से मैं 
बचे हुए जीवन को 
प्रेम में बदलना चाहता हूँ....

©Rishi Ranjan

hindi poetry poetry in hindi love poetry in hindi metaphysical poetry sad poetry

13 Love

Trending Topic