White जिसके दुनिया में कोई भी काम आता नहीं ,उसे बाबा ठुकराता नही है,
वहां हमारा और सिर्फ हमारा बाबा श्याम आता है बाकि कोई और आता नहीं।
जब ठोकर मारी थी हमें ज़माने भर ने,तब सँभालने को कोई नहीं था,
उस ठोकर से बाबा ने हमें उठाया, और हमें गले से लगाया उस दौर में सिवा कोई और नही,
दो वक्त की रोटी के भीं फाके पड़े, रहने को भी परिवार के लिए छत थीं नहीं ,
मेरे बाबा ने रहने को छत दिया और छप्पन भोग खिलाया वरना यहां तो भूखे को भोजन नहीं।
जब अपमानित होते थे ज़माने में, तो सम्मान तूने दिलाया,
तेरे सिवा कोई अब ठिकाना नहीं,
बाबा श्याम ने उठाकर हमें, अपने माथे का तिलक बनाया है।
आज भी जब हारते हैं हम, तो बाबा तुझी को कह आते हैं,
कि तू जाने, तेरा काम जाने, बाबा मैं तो तेरे दर पर आई हूँ।
जरा और ध्यान रखना हमारा, दुश्मन और बनाकर आई हूँ,
फूलों का नहीं, काँटों का ताज पहनाया ज़माने ने मेरे बाबा,
चार शूल और ताज में ज्यादासज़ा कर और लाई हूं।
©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
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